गेहूं के निर्यात पर मोदी सरकारने तत्काल रोक क्यों लगाई? जानिये इसके कारण

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गेहूं के निर्यात पर मोदी सरकारने तत्काल रोक क्यों लगाई? जानिये इसके कारण

M Y Team दिनांक १४ मई २०२२

गेहूं की बढ़ती कीमतों के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। शनिवार को सरकार ने गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया। गेहूं को प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि देश की खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। साथ ही पड़ोसी देशों और गरीब देशों को समर्थन करने के लिए भी ऐसा करना जरूरी था। इस बीच आपको बता दें कि जिन देशों को पहले ही इसके निर्यात की अनुमति दी जा चुकी है, उन्हें इसका निर्यात जारी रहेगा।

डीजीएफटी की अधिसूचना में दी गई जानकारी

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 13 मई को जारी अधिसूचना में कहा है कि इस अधिसूचना की तारीख या उससे पहले जिस खेप के लिए अपरिवर्तनीय ऋण पत्र (एलओसी) जारी किए गए हैं, उसके निर्यात की अनुमति होगी। गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग से पूरी दुनिया में गेहूं की कीमतों में जोरदार इजाफा हुआ है। भारत में भी घरेलू स्तर पर गेहूं की कीमत बढ़ी है। कई प्रमुख राज्यों में सरकारी खरीद की प्रक्रिया काफी सुस्त चल रही है और लक्ष्य से काफी कम गेहूं की खरीदारी हुई है। इसकी वजह यह है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ज्यादा कीमत बाजार में मिल रही है।

अप्रैल महीने में रिकॉर्ड गेहूं का निर्यात हुआ

गौरतलब है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक। देश ने वित्त वर्ष 2021-22 कुल 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया, जबकि बीते अप्रैल महीने की बात करें तो भारत ने रिकॉर्ड 14 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है। यहां बता दें कि देश में महंगाई आसमान छू रही है, खुदरा महंगाई एक बार फिर लंबी छलांग मारते हुए अप्रैल महीने में 7.79 फीसदी पर पहुंच चुकी है। इस बीच अप्रैल में खाद्य पदार्थों पर महंगाई 8.38 फीसदी के स्तर पर पहुंच चुकी है।

भारत ने गेहूं एक्सपोर्ट पर बैन क्यों लगाया?

गेहूं एक्सपोर्ट पर बैन लगाने के दो प्रमुख कारण हैं। पहला- गेहूं की सरकारी खरीद कम हुई है। दूसरा- मौसम की मार से गेहूं की फसल पर असर पड़ा है, जिस वजह से पैदावार कम हुई है। ऐसी स्थिति में देश के सामने यह आशंका खड़ी हो गई थी कि कहीं आने वाले समय में गेहूं के भंडार खाली न हो जाएं। सरकार ने यह भी साफ किया है कि जिन कंपनियों-फर्मों को 13 मई तक लेटर ऑफ क्रेडिट (एलओसी) मिल चुके हैं, वे निर्यात कर सकेंगे।

एक्सपोर्ट पर रोक नहीं लगाते तो क्या होता?

एक्सपोर्ट पर अगर सरकार रोक नहीं लगाती तो 2006-07 जैसे हालात बन सकते थे। उस समय हमें गेहूं इंपोर्ट करना पड़ा था। वो भी लगभग डेढ़ गुना ज्यादा कीमत पर। रोक नहीं लगती तो भारत में गेहूं के दाम 3000 रुपए प्रति क्विंटल तक उछल सकते थे, जो अभी 2300 रु. के करीब है। आप सोचिए कि अभी देश में गेहूं की कमी नहीं है, फिर भी दाम बढ़ गए हैं। अगर बाद में कमी पड़ती तो क्या हालात होते।

 

 

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