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ओएनडीसी ( ओपन मार्किट डिजिटल कोमर्स ) क्या है?
M Y Team दिनांक ११ मई २०२३
ईन दिनों इंटरनेट (internet) का जमाना है। लोग खरीदारी करने के लिए भी बजाय बाजार जाने के घर से ही विभिन्न शोपिंग साइट्स से आर्डर करना पसंद करते हैं। अमेजन (Amazon), फ्लिपकार्ट (Flipkart), मंत्रा (Mantra), मीशो (Meesho) जैसी ऐसी अनेकों ई-कामर्स साइट्स हैं, जो लोगों की खरीदारी एवं प्रोडक्ट्स की होम डिलीवरी की आवश्यकता को पूरा कर रही हैं। हालत यह है कि ई-कामर्स मार्केट पर अमेजन, फ्लिपकार्ट दोनों मिलकर राज कर रही हैं। मार्केट रिटेलर्स इन ई-कामर्स कंपनियों के खिलाफ लगातार मुखर रहते हैं। अब इन्हें चुनौती देने के लिए हमारी केंद्र सरकार एक नई पहल ओएनडीसी (ONDC) लेकर आ रही है।
आज इस पोस्ट में हम आपको ओएनडीसी के विषय में विस्तार से बताएंगे। जैसे-ओएनडीसी क्या है? इसको लाने के पीछे सरकार क्या उद्देश्य है? यह नेटवर्क छोटे व्यापारियों की किस प्रकार मदद करेगा? आदि। आइए, शुरू करते हैं-
ओपन सोर्स एवं ई-कोमर्स क्या अर्थ है?
मित्रों, ओएनडीसी के बारे में जानने से पहले आइए, सबसे पहले ओपन सोर्स एवं ई-कोमर्स का अर्थ जान लेते हैं। आपको बता देंते हैं कि किसी सॉफ्टवेयर अथवा किसी प्रक्रिया (process) के ओपन सोर्स होने का मतलब यह है कि उसके कोड अथवा प्रक्रिया के चरणों को दूसरों के इस्तेमाल, पुनर्वितरण एवं संशोधन के लिए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराया जा सकता है। जैसे-गूगल का एंड्रायड आपरेटिंग सिस्टम (android operating system) ओपन सोर्स है। लिहाजा, कई स्मार्ट फोन निर्माता कंपनियां इसे विशेष संशोधनों के साथ इस्तेमाल करते हैं। वहीं,एपल के आईफोन का आपरेटिंग सिस्टम क्लोज्ड सोर्स (closed source) है। इसका अर्थ यह है कि इसे कानूनी रूप से संशोधित नहीं किया जा सकता। इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। अब आते हैं ई-कोमर्स पर। आपको बता दें कि यह एक व्यवसाय माडल (business model) है, जो विभिन्न लोगों एवं कंपनियों को इंटरनेट के जरिए चीजें खरीदने एवं बेचने की सुविधा देता है। स्मार्टफोन के लगातार बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही 4जी नेटवर्क ने ई-कामर्स के बाजार को कई बिलियन डालर्स तक पहुंचा दिया है।
ओएनडीसी क्या है? इसका क्या उद्देश्य है?
दोस्तों, अब आते हैं ओएनडीसी पर। सबसे पहले ओएनडीसी की फुल फॉर्म जान लेते हैं। इसकी फुल फॉर्म है-ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कोमर्स (open network for digital commerce)। आपको बता दें कि यह ओपन प्रोटोकोल (open protocol) पर आधारित एक तकनीकी नेटवर्क है। यह केंद्र सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (ministry of commerce and industry) के अंतर्गत उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग की एक पहल है। इसका उद्देश्य इलेक्ट्रानिक नेटवर्क के जरिए वस्तुओं एवं सेवाओं के लेन-देन एवं खरीद-बेच के सभी पहलुओं के लिए एक खुले मंच को प्रोत्साहित करना है, जिसका इस्तेमाल सभी आनलाइन रिटेल विक्रेता कर सकें। इसके साथ ही इसका उद्देश्य वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद-बेच पर डिजिटल मोनोपाॅली (digital monopoly) को खत्म करना है।
सरकार ई-कोमर्स कंपनियों की मोनोपोली क्यों खत्म करना चाहती है?
साथियों, अब आपको यह जानकारी देंगे कि केंद्र सरकार ई-कामर्स कंपनियों की मोनोपोली को खत्म क्यों करना चाहती है। ई-कामर्स रिटेलर इसका विरोध क्यों कर रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि बड़ी ई-कामर्स कंपनियों के खिलाफ लगातार शिकायत आ रही थी कि वे मार्केट में अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल कर रही हैं। अनुचित लाभ हासिल करने के लिए बड़ी छूट दे रही हैं।
ओएनडीसी से क्या लाभ होगा?
मित्रों, माना जा रहा है कि इस ओएनडीसी नेटवर्क से छोटे व्यापारियों को बहुत लाभ होगा एवं बड़ी ई-कामर्स कंपनियों की आनलाइन मार्केट पर मोनोपोली नहीं रह जाएगी।
ओएनडीसी कैसे काम करता है?
आपको बता दें कि यह एक ओपन सोर्स नेटवर्क है। यह एक नेटवर्क इनेबल्ड एप्लिकेशन (network enabled application) के जरिए ग्रासरी (grocery), फूड आर्डर एवं डिलीवरी (food order and delivery), होटल बुकिंग एवं यात्रा (hotel booking and traveling) आदि सेग्मेंट्स (segments) में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच पहुंचाकर स्थानीय व्यापार को मदद करता है। इस पर भी एकीकृत भुगतान प्रणाली (integrated payment system) यानी यूपीआई (UPI) के माध्यम से भुगतान हो सकेगा। यह तो आप भी जानते होंगे कि इस वक्त अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी ई-कोमर्स कंपनियों की ई-रिटेल मार्केट में करीब 80 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
पहले चरण में यह नेटवर्क कितने शहरों में लांच हुआ है?
पहले चरण में यह नेटवर्क बतौर पायलट प्रोजेक्ट देश के पांच शहरों में लांच किया गया है। इन शहरों में दिल्ली-एनसीआर, बंगलूरू, भोपाल, शिलांग एवं कोयंबटूर शामिल हैं। इन पांच शहरों में यह ओएनडीसी लांच करने के पीछे वजह यह है कि केंद्र सरकार ने जियोग्राफिकल फैलाव को ध्यान में रखा है।
इन पांच शहरों में इन आनलाइन कंपनियों का ट्रेडर बेस है। अपने अभी तक के अनुभव के आधार पर यह ओएनडीसी पर लेन-देन की बारीकियों एवं मुश्किलों को आसानी से समझ सकता है। पायलट प्रोजेक्ट (pilot project) के तौर पर सफल रहने पर ओएनडीसी को देश के दूसरे शहरों में भी लांच किए जाने पर फेसला किया जाएगा।
बड़ी ई-कामर्स कंपनियों से सबसे अधिक खतरा किसको?
इस बात को आसानी से समझा जा सकता है। बड़ी ई-कामर्स कंपनियों से सबसे अधिक खतरा किराना व्यापारियों को सता रहा है। उन्हें डर है कि वालमार्ट की फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी कंपनियां बाहर के स्थापित घरानों के साथ मिलकर उनका धंधा चौपट कर देंगी। उनके पास डिस्काउंट एवं होम डिलीवरी जैसे अनेक आप्शन हैं, जिसका लाभ वे ग्राहकों को लुभाने के लिए करेंगी। और अभी भी कर रही हैं। यही वजह है कि 80 प्रतिशत ई-कामर्स मार्केट उन्होंने कब्जा लिया है। यदि कहीं से चुनौती नहीं मिली तो छोटे व्यापारियों के लिए बेहद मुश्किल हो जाएगी।
हालिया डिपार्टमेंटल स्टोर कल्चर ने मोहल्ले के दुकानदारों की दुकानदारी पर तगड़ा असर डाला है। यही सब बातें उन्हें डरा रही हैं। उनकी इसी चिंता ने सरकार को अपना ई-कामर्स इकोसिस्टम विकसित करने के लिए विवश किया है।
छोटे व्यापारियों को ओएनडीसी ई-कामर्स प्लेटफार्म से कैसे मदद मिलेगी?
सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे ई-कामर्स इको सिस्टम ओएनडीसी के जरिए पान वाले, चाटवाले, छोटे भटूरे वाले अपने प्राडक्ट्स आनलाइन बेच सकेंगे। कस्टमर उन्हें आनलाइन आर्डर और भुगतान कर सकेंगे। आपको बता दें दोस्तों कि यह सरकार का एक नाट फार प्राफिट सिस्टम (not for profit system) होगा। यानी कि वह लाभ के पीछे नहीं भागेगी। सुविधा प्रदान करने पर उसका फोकस रहेगा। सरकार के सामने २०१६ में लाया गया यूपीआई सिस्टम सफलता का एक मानक बनकर सामने है। यद्यपि इन छोटे व्यापारियों के लिए आईटी प्रक्रिया (IT process) को पूरा करना सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती होगी। यद्यपि उसने इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से सलाह के पश्चात ही इस क्षेत्र में कदम आगे बढ़ाए हैं। यह प्रोजेक्ट भी उन्हीं की देखरेख, सलाह एवं निगरानी में आगे बढ़ रहा है।
सौजन्य- टेकहेल्प.
https://www.techuhelp.com/what-is-ondc/