मोदी सरकार के आत्मनिर्भर पैकेजमें मिली सहायता से 13.5 लाख छोटे और मझौले उद्योग बंद होनेसे बचे.

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मोदी सरकार के आत्मनिर्भर पैकेजमें मिली सहायता से 13.5 लाख छोटे और मझौले उद्योग बंद होनेसे बचे.

By Vinayak Ambekar दिनांक ६ जनवरी २०२२

स्टेट बैंक SBI ने हालही में जारी किये एक रिपोर्ट में जानकारी दी गई है की कोरोना के समय मोदी सरकारने दिए हुए आत्मनिर्भर पैकेजसे देश के करीबन १३.५  लाख छोटे और मझोले उद्योग बंद होने से बच गए। इस वजह से इनमें काम कर रहे १.५  करोड़ लोगों का रोजगार भी कायम रहा । SBI ने रिपोर्ट में कहा कि मई 2020 में सरकार ने MSME सेक्टर को कोरोना के समय में राहत देने के लिए ECLGS स्कीम को लॉन्च किया था। इस फैसले से देश के करीबन 13.5 लाख छोटे और मझोले उद्योग बंद होने से बच गए। बंद होनेसे बचे हुए उद्योगोंमें काम कर रहे 1.5 करोड़ लोगों का रोजगार भी कायम रहा।

SBI का अनुमान है कि इस वजह से करीबन 13.5 लाख MSME अकाउंट बुरे फंसे कर्ज यानी NPA होने से बच गए। इसमें से 93.7% अकाउंट सूक्ष्म और छोटे कैटेगरी के थे। इस दौरान करीबन 1.8 लाख करोड़ रुपए के MSME लोन को NPA में जाने से बचा लिया गया। यह इस सेक्टर को दिए गए कुल कर्ज का 14% हिस्सा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि इन यूनिट का अकाउंट NPA में जाता तो 1.5 करोड़ कामगारों को रोजगार से हाथ धोना पड़ सकता था। इसका मतलब यह हुआ कि करीबन 6 करोड़ परिवारों को इस स्कीम से बचाया गया। यह तब जब, यह मान लिया जाए कि एक परिवार में 4 सदस्य हैं। इसी तरह से ट्रेडिंग सेक्टर (छोटे किराना दुकानदार) को भी मदद मिली है। इसके बाद फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइ्स और कमर्शियल रियल इस्टेट को भी मदद मिली है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने इस योजना के तहत कर्ज देने की सीमा को बढ़ाकर 4.5 लाख करोड़ रुपए किया था। इसका 64.4% यानी 2.9 लाख करोड़ 21 नवंबर 2021 तक मंजूर किया गया था। मई 2020 में 100% गारंटी इसके साथ दी गई थी।

मुद्रा स्कीम वाले भी शामिल हुए

अगस्त 2020 में सरकार ने इस स्कीम में मुद्रा लोन के तहत कर्ज लेनेवालों को भी शामिल कर लिया। जबकि नवंबर 2020 में इस स्कीम को 26 सेक्टर्स के लिए बढ़ाया गया। इस स्कीम को तीसरी बार मार्च 2021 में फिर से बढ़ाया गया जिसमें ह़ॉस्पिटालिटी, ट्रैवल और टूरिज्म के साथ लेजर और अन्य सेक्टर को शामिल किया गया। चौथी बार इसे मई 2021 में बढ़ाया गया और इसमें कुछ सुधार किया गया।

माइक्रो सेक्टर में 1 करोड़ जॉब बचे

रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रो सेक्टर में 1 करोड़, छोटे सेक्टर में 45 लाख, मध्यम सेक्टर में 5 लाख रोजगार बचाए गए। टॉप 10 सेक्टर्स की बात करें तो इनका करीबन 75% अकाउंट NPA होने से बच गया। इसमें टॉप 3 राज्यों में गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु का समावेश रहा है। प्राइवेट कंपनियों में सबसे आगे गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश हैं। जबकि प्रोपराइटरशिप में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल हैं। पार्टनरशिप फर्म में गुजरात, तमिलनाडु और महाराष्ट्र सबसे आगे हैं।

39% फायदा प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को

इसमें से 39% फायदा प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को हुआ है जबकि 24.4% फायदा प्रोपराइटरशिप कंपनियों को हुआ है। 23.3% फायदा पार्टनरशिप फर्म को हुआ है। गुजरात की 12.4% कंपनियों को, महाराष्ट्र की 11.4%, तमिलनाडु की 10.3% और उत्तर प्रदेश की 8% कंपनियों को फायदा हुआ है।वित्तवर्ष 2021 में MSME सेक्टर को 9.5 लाख करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया जो कि 2020 में 6.8 लाख करोड़ रुपए था। इसमें इतनी तेजी से इसलिए बढ़त हुई क्योंकि ECLGS स्कीम को बढ़ाया गया था और इसे आत्मनिर्भर भारत के रूप में चलाया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी का जो लोन प्रोडक्ट CGTMSE के रूप में है, उसे SME सेक्टर को कर्ज देने में तेजी लाने के लिए रिस्ट्रक्चर करने की जरूरत है। दिलचस्प यह है कि CGTMSE पोर्टफोलियो का रिकवरी रेट 55% है। इसमें कम रकम की जरूरत होती है। यह अभी भी लोकप्रिय प्रोडक्ट नहीं बन पाया है।

CGTMSE को सुटेबल मॉडल के रूप में डेवलप करने की जरूरत

रिपोर्ट में कहा गया है कि CGTMSE को एक सुटेबल मॉडल के रूप में डेवलप करने की जरूरत है। सुधारित CGTMSE स्कीम को अगर सही तरीके से डिजाइन किया गया तो इससे 12 लाख SME को सपोर्ट मिलेगा और कम से कम 1.2 करोड़ अतिरिक्त रोजगार का निर्माण हो सकेगा।

31 मार्च तक बढ़ाई गई सीमा

इस स्कीम के तहत लोन की समय सीमा 31 मार्च तक बढ़ाई गई है। जबकि लोन के वितरण की समय सीमा जून 2022 तक है। इस योजना के तहत 7.5% सालाना ब्याज पर कर्ज दिया जाता है। हालांकि बैंक इससे कम दर पर भी कर्ज दे सकते हैं। ECLGS का मतलब इमर्जेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम है। यह बिजनेस लोन छोटे कारोबारियों के लिए शुरू किया गया था। इसका समय 60 महीने का होता है। ब्याज का रीपेमेंट शुरू के 24 महीने तक लिए जाते हैं। उसके बाद मूलधन लिया जाता है। 2020 मई में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत इसका ऐलान हुआ था।

 

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