शिवपुरीः आत्मनिर्भर बन रही समूह से जुड़ीं महिलाएं, हर माह कमा रही 5 से 7 हजार रुपये

Atmanirbhar Bharat- Ground Report

शिवपुरीः आत्मनिर्भर बन रही समूह से जुड़ीं महिलाएं, हर माह कमा रही 5 से 7 हजार रुपये

M Y Team  दी.८ मार्च २०२१

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए शहरी एवं ग्रामीण आजीविका मिशन ( Rural Livehood Mission )  से जुडे स्व सहायता समूह ( Self Help Groups ) महती भूमिका निभा रहे हैं। शहरी तथा ग्रामीण मिशन द्वारा संचालित स्व सहायता समूह महिलाओं को जोड़कर जहां आत्म निर्भर बनने का प्रशिक्षण दिला रही है वहीं उन्हे कामकाज दिलाकर आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है। वर्तमान मे समूहों से जुड़ी महिलाएं हर माह लगभग 5 से 7 हजार रुपये कमाकर सहयोग कर रही है। यह खानी मध्यप्रदेश की शिवपुरी गाव की है I

शिवपुरी इलाके की शक्तिपुरा खुड़ा निवासी निकिता महिला मंडल की सचिव मंजूला जैन ने इन महिलाओंको तैयार किया है I मंजुला जी धीरे-धीरे ही सही लेकिन महिलाओं में आत्मनिर्भरता बढ़ रही हैं और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए मंजुला जैन द्वारा महिला सशक्तिकरण अभियान, महिला को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में नित नई पहल कर रही हैं। उन्होंने समूह से जुड़ी लगभग एक सैकड़ा से अधिक महिलाओं को हैंडीक्राफ्ट का काम सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बना दिया हैं। समूह से जुड़ी महिलाएं घर बैठकर अपना घर परिवार चलाने में लगी हुई हैं। इतना ही समूह से जुड़ी कई युवतियां अपनी पढ़ाई का खर्च भी इस रोजगार के माध्यम से निकाल रही है।

प्रशिक्षण दिलाकर दिया रोजगार

आजीविका मिशन योजना के अंतर्गत ग्रामीण समूह की महिलाओं को एसबीआई ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगारी प्रेषित किया हैं। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं की रुचि के अनुसार उन्हें काम सिखाया गया। प्रशिक्षण देकर उन्हें विश्वास दिलाया कि हम आपको कच्चा माल उपलब्ध करायेंगे और आपको मार्केट भी देंगे। इस योजना से जुड़ी महिलाओं को आर्थिक संबल तो मिलत ही है इसके साथ उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।

 

घर बैठकर  काम रही हैं और प्रतीमाह  5-7 हजार रुपये कमा रही है

शहर में महिलाएं निकिता महिला मंडल से जुड़कर रोजगार पा रही हैं। ये वो महिलाएं हैं, जो कम पढ़ी-लिखी हैं उनको आवश्यकता अनुसार जिस काम में इच्छुक हैं उसकी ट्रेनिंग दिलाई जाती है। चाहे राखी बनाने का काम हो या फिर फ्लॉवर, मोतियों से सजावट कर बंधनबार, या फिर ऑर्टीफिशियल ज्वेलरी खुद अपने हाथों से बनाकर तैयार करने में लगी हुई हैं। जिससे वह अब स्वंयम आत्मनिर्भर बन रही हैं और प्रत्येक माह 5 से 7 हजार रूपए घर बैठकर कमाने में लगी हुई हैं।

दिल्ली-मुंबई तक है यहां हैंडीक्राफ्ट की मांग

समूह की सचिव ने बताया कि वह दिल्ली और मुंबई से कच्चा माल मंगवाती है और यहां पर महिलाओं की मदद से ऑर्डर के अनुसार हैंडीक्राफ्ट आइटम्स तैयार कराती है। समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए हैंडीक्राफ्ट में शहर सहित दिल्ली, मुंबई, अलीगढ़, इंदौर, झांसी, भोपाल तथा ग्वालियर में काफी डिमांड है। वह हर सीजन के हिसाब से मिलने वाले ऑर्डर के तहत सामान तैयार कराती है।

जानते ले इन महिलाओंका क्या कहना है

बहुतसी महिलाओने बताया की समूह से जुड़े हुए उन्हें लगभग पांच साल हो गए है। इन पांच सालों ने उन्हें हैंडीक्राफ्ट आइटम्स तैयार करने के लिए काफी कुछ सीखने को मिला है। आज मैं हर महीने लगभग 7 हजार रुपये कमाती हूं और अपने पिता का सहयोग करती हूं I अन्य महिलाओंकी कहानिया कुछ इस प्रकार है I

नीलम कुशवाह

– हैंडीक्राफ्ट के लिए मैंने एसबीआई ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण लिया था। मुझे हैंडीक्राफ्ट बनाने का शौक है। मेरा यह शौक मेरी आजीविका का माध्यम बना है।

काजल चंदेल

– समूह द्वारा ऑर्डर के अनुसार हैंडीक्राफ्ट आइटम्स तैयार कराए जाते हैं। समूह में लगभग एक सैकड़ा महिलाएं जुड़ी हुई है। जो अपने घर के काम से समय निकालकर यह काम कर रही है और रुपये कमा रही है।

उमा शर्मा

– हैंडीक्राफ्ट तैयार करने के लिए मुझे समूह सचिव द्वारा काफी कुछ सिखाया गया है। मेरे यह काम सीखने के बाद धीरे-धीरे मेरी बहन और मां ने भी यह काम सीखा है। आज हमारा पूरा परिवार इस काम को कर रहा है।

सौजन्य – दैनिक नयी दुनिया

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