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एंटी चायना सेंटिमेंटके कारण सिरामिकके वैश्विक बाजार में चीन का हिस्सा 40% घटा तो भारत का 20% बढा
- चालू वित्तीय विर्ष में भारत से सिरामिक का एक्सपोर्ट 35% बढ़ने की संभावना
- भारत में 2020-21 के दरमियान सिरामिक बिजनेस का कद 45,000 करोड़ को पार किए जाने की आशा
कोरोना के चलते चीन को लेकर दुनिया भर के देशों के नजरिए में बदलाव आया है। इसका सीधा फायदा भारत और खासतौर पर गुजरात की सिरामिक इंडस्ट्रीज को हुआ है। सिरामिक बिजनेस से जुड़े लोगों के बताए अनुसार, यूरोप, अमेरिका, गल्फ सहित कई देश जो पहले चीन से सिरामिक उत्पाद खरीदा करते थे, अब उनका झुकाव भारत की तरफ हो चला है। इस स्थिति में डोमेस्टिक मार्केट कमजोर होने पर भी एक्सपोर्ट के चलते उद्योग मंदी के असर से बाहर आ रहा है। भारत में 2020-21 के दरमियान सिरामिक बिजनेस का कद 45,000 करोड़ को पार किए जाने की आशा है। इसमें मोरबी की ही हिस्सेदारी 90% से अधिक है।
चालू वर्ष के 6 महीनों में 7000 करोड़ का निर्यात हुआ
वरमोरा ग्रुप के चेयरमैन भावेश वरमोरा बताते हैं कि एंटी चाइना सेंटीमेंट से भारत को बहुत फायदा हुआ है। चालू वित्तीय वर्ष के शुरूआती 6 महीनों में करीब 7000 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ है। गत वर्ष की तुलना में निर्यात 20% बढ़ा है। हम भी निर्यात पर ही फोकस कर रहे हैं और उसके लिए 300 करोड़ रुपए के निवेश के साथ मोरबी में दो अत्याधुनिक प्लांट बनाने जा रहे हैं। वर्तमान में हमारे टर्नओवर में 20% एक्सपोर्ट बिजनेस है, जिसे हम बढ़ाकर 30% करना चाहते हैं।
चीन का मार्केट 40% घटा
AGL ग्लोबल ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर प्रफुल्ल गट्टाणी ने बताया कि पहले ग्लोबल सिरामिक मार्केट में चीन का हिस्सा 60% था। कोरोना महामारी के बाद चीन का जो रवैया रहा, उससे काफी देश नाराज हैं और अब चीन से खरीदी करने के दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं। इसी के चलते चालू वर्ष में चीन की हिस्सेदारी घटकर 20-22% पर आ गई है। इसका सीधा फायदा भारत को हुआ है। चीन से जो डिमांड घटी है, उसमें से 15-20% भारत में विशेषकर गुजरात में बढ़ी है। बढ़ते एक्सपोर्ट को ध्यान में रखते हुए हम वांकानेर में एक्सपोर्ट हाउस शुरू कर रहे हैं। कंपनी फिलहाल 100 से अधिक देशों में माल एक्सपोर्ट कर रही है और अपना एक्सपोर्ट नेटवर्क बढ़ाने में लगी हुई है।
इस साल 13,000-13,500 करोड़ रुपए के निर्यात की आशा
मोरबी सिरामिक एसोसिएशन के पूर्व प्रमुख केजी कुंडारिया बताते हैं कि लॉकडाउन के चलते शुरू के दो महीने कोई काम नहीं हो पाया। जैसे-जैसे लॉकडाउन खुलता गया, वैसे-वैसे निर्यात में भी वृद्धि होती चली गई। हमें आशा है कि इस साल 13,000-13,500 करोड़ रुपए का निर्यात होगा। पिछले साल की तुलना में इस साल 30-35% ज्यादा एक्सपोर्ट हो सकता है। चीन से कई देश नाराज हैं। अमेरिका ने चीन के उत्पादों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगा दी है और दूसरे कई देश भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसका फायदा मोरबी और भारत की सिरामिक इंडस्ट्रीज को हो रहा है।
चालू वर्ष में मोरबी में 3000 करोड़ का निवेश आएगा
मोरबी सिरामिक एसोसिएशन में वाल टाइल्स डिविजन के प्रमुख नीलेश जेतपरिया ने बताया कि जिस तरह मांग बढ़ रही है, उसे देखते हुए यहां के बिजनेसमैन एक्सपांशन कर रहे हैं। वर्तमान में मोरबी में करीब 900 सिरामिक प्लांट्स हैं और दूसरे नए 60 प्लांट तैयार हो रहे हैं। इन सभी प्लांट्स में इस साल करीब 3000 करोड़ रुपए का निवेश आएगा। वैश्विक स्तर पर खरीददारों को चीन की बजाय भारत की क्वालिटी पर ज्यादा भरोसा है और इसीलिए कई यूरोपियन देशों की भारत से खरीदी बढ़ी है।
2 लाख मजदूर खुद के खर्च पर बुलाए गए
मोरबी के सिरामिक उद्योग में 4 लाख से ज्यादा मजदूर-कारीगर जुड़े हुए हैं। इनमें से 80% मजदूर-कारीगर राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, उड़ीसा से आते हैं। लॉकडाउन में इनमें से 2 लाख से ज्यादा मजदूर अपने वतन लौट गए थे। इसके चलते अप्रैल और मई महीने में ज्यादातर फैक्ट्रियां बंद रहीं। लेकिन मई के अंत में सरकार ने कुछ ढील दी तो सिरामिक की फैक्ट्रियां फिर से शुरू हुईं। मजदूरों की कमी के चलते बिजनेसमैन ने अपने खर्चे पर मजदूर बुलाए। इसके लिए खुद ही बस, ट्रक और ट्रेन से लेकर फ्लाइट तक की व्यवस्था की गई। अनलॉक के बाद से यहां अब तक करीब 2 लाख मजदूर लौट चुके हैं और यह सिलसिला जारी है।
सौजन्य: दैनिक भास्कर