Economy-अर्थव्यवस्था
४ साल तक और लगेगा GST Compensation Cess, सरकार ने मार्च २०२६ तक बढ़ाई समय सीमा
M Y Team दिनांक २६ जून २०२२
GST compensation cess: जीएसटी पर लगाई जानेवाली कोम्पेनसेशन लेवी ३० जून को समाप्त होनी थी. लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में जीएसटी काउंसिल ने इसे चार साल बढ़ाने का फैसला किया. इस काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री भी रहते हैं. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (पीरियड ऑफ लेवी एंड कलेक्शन ऑफ सेस) रूल्स, २०२२ के तहत जीएसटी कंपनसेशन सेस १ जुलाई २०२२ से ३१ मार्च २०२६ तक जारी रहेगा. यह फैसला इसीलिए लेना पडा क्योंकि पिछले २ सालों में राजस्व संग्रह में बड़ी कमी आई थी. उसके कारण पिछले २ आर्थिक वर्षोमे राज्यों को दिए गए मुआवजे के उधार और बकाया भुगतान की रकम बड़ी है. उसे मिटाने के लिए इसे २ साल तक और आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया है. महंगी वस्तुओं और गैर जरूरी सामान पर लगने वाला क्षतिपूर्ति उपकर मार्च २०२६ तक लिया जाएगा. इसके पीछे उद्धेश्य राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई करना है ताकि २०२०-२१, २०२१-२२ के दौरान लिए गए कर्जों का भुगतान हो सके.
२०२१-२२ में ली १.५९ करोड़ की उधारी
केंद्र ने उपकर संग्रह में आई गिरावट की भरपाई के फाइनेंशियल इयर २०२०-२१ में उधारी जुटाकर १.१ लाख करोड़ रुपए जारी किए थे, वहीं २०२१-२२ में १.५९ करोड़ रुपए की उधारी ली गई थी. कई राज्यों ने केंद्र सरकार से क्षतिपूर्ति व्यवस्था जारी रखने की बात कही थी, क्योंकि क्षतिपूर्ति व्यवस्था बंद होने से उनके राजस्व में किल्लत होने लगेगी. बता दें कि GST लागू होने पर राज्यों को राजस्व क्षति की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति व्यवस्था लागू की गई थी. लेकिन इस व्यवस्था को सिर्फ शुरुआती ५ साल के लिए ही लागू किया जाना था, जिसके अनुसार इसे ३० जून २०२२ को खत्म होना था. केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को ३१ मई २०२२ तक देय GST कंपनसेशन उपकर का भुगतान कर दिया गया है.
इन वस्तुओं पर सेस वसूली रहेगी जारी
जीएसटी को १ जुलाई २०१७ को लागू किया गया था. राज्यों/यूनियन टेरीटरीज को भरोसा दिया गया था कि जीएसटी लागू होने के चलते उन्हें राजस्व में जो गिरावट आएगी, पांच साल तक केंद्र सरकार उसे चुकाएगी. इस कैलकुलेशन में माना गया कि राज्यों का रेवेन्यू १४ फीसदी के चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है लेकिन इसी अनुपात में सेस में बढ़ोतरी नहीं हुई. इसके अलावा कोरोना महामारी ने भी रेवेन्यू के अनुमान और वास्तविक रेवेन्यू व सेस कलेक्शन के बीच अंतर को बढ़ा दिया. केंद्र ने राज्यों को ३१ मार्च २०२२ तक जीएसटी का पूरा मुआवजा चुकता कर दिया है.
हालांकि दो वित्त वर्षों के दौरान राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने जो लोन लिया था, उसे चुकता करना है, जिसके लिए वह तंबाकू, सिगरेट, हुक्का, एयरेटेड वॉटर, हाई-एंड मोटरसाइकिल, एयरक्राफ्ट, याट और मोटर व्हीकल्स पर सेस लगाना जारी रखेगी यानी इनके लिए आपको अधिक कीमत चुकानी होगी. बता दें कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के पास स्थानीय स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं पर अप्रत्यक्ष कर लगाने की शक्ति नहीं रह गई तो राज्यों की कमाई में भारी गिरावट आई जिसके लिए केंद्र ने मुआवजे का प्रावधान रखा और कुछ वस्तुओं पर सेस का भी प्रावधान रखा.