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भारत के जामनगर में जल्द बनेगा आयुर्वेद का WHO ग्लोबल सेंटर, मोदी सरकारसे मिली हरी झंडी
M Y Team दिनांक १० मार्च २०२२
नई दिल्ली. देश में भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का लाभ अब पूरे विश्व को मिलने जा रहा है. दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए पहला और एकमात्र वैश्विक केंद्र अब भारत में खुलने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के बीच एक मेजबान देश समझौते पर आज हस्ताक्षर किया है. जिसके बाद भारत में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम) की स्थापना को मंजूरी मिल गई है. लिहाजा आयुर्वेद की विश्व स्तर पर स्वीकार्यता बढ़ने के साथ ही इस चिकित्सा पद्धति को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) के अंतर्गत नए नए रिसर्च, शोध और प्रसार का भी मौका मिलेगा.
खास बात है कि आयुष मंत्रालय के तहत यह पहला डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम गुजरात के जामनगर में खोला जा रहा है. इस केंद्र की भूमिका आयुष प्रणालियों को दुनिया भर में स्थापित करने के साथ ही पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित वैश्विक स्वास्थ्य मामलों में नेतृत्व प्रदान करने की होगी. इतना ही नहीं यह पारंपरिक चिकित्सा की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता, पहुंच और तर्कसंगत उपयोग को सुनिश्चित करेगा. डेटा अंडरटेकिंग एनालिटिक्स एकत्र करने और औषधियों के प्रभाव का आकलन करने के लिए प्रासंगिक तकनीकी क्षेत्रों, उपकरणों और कार्यप्रणाली में मानदंड, मानक और दिशानिर्देश विकसित करने के काम भी इसके द्वारा किया जाएगा. मौजूदा टीएम डेटा बैंकों, आभासी पुस्तकालयों, शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से डब्ल्यूएचओ टीएम सूचना विज्ञान केंद्र की अवधारणा को सुनिश्चित करने का भी काम होगा.
इस दौरान बताया गया कि यह केंद्र उद्देश्यों के लिए प्रासंगिकता के क्षेत्रों में विशिष्ट क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करेगा. परिसर, आवासीय, या वेब-आधारित, और डब्ल्यूएचओ अकादमी और अन्य रणनीतिक भागीदारों के साथ साझेदारी के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करेगा. बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेबेरियस ने भारत के प्रधानमंत्री की मौजूदगी में 13 नवंबर, 2020 को 5वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर भारत में डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम की स्थापना की घोषणा की थी.
इस केंद्र की स्थापना के लिए गतिविधियों के समन्वय, निष्पादन और निगरानी के लिए एक संयुक्त कार्य बल (जेटीएफ) का गठन किया गया है. जेटीएफ में भारत सरकार, भारत के स्थायी मिशन, जिनेवा और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं. इसके तहत, चिन्हित तकनीकी गतिविधियों और पूरी तरह कार्यात्मक डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम की योजना को निष्पादित करने के लिए गुजरात के जामनगर में आईटीआरए के तौर पर एक अंतरिम कार्यालय की स्थापना की जा रही है.
इस केंद्र के माध्यम से आयुर्वेद की जानकारी को किताबों और पांडुलिपियों से बाहर लाने के अलावा न केवल उपचार के माध्यम से आधुनिक जरूरतों को पूरा करने में किया जाएगा बल्कि प्राचीन मेडिकल ज्ञान के क्षेत्र में भारत में की जा रहीं नई नई रिसर्च मॉडर्न साइंस (Modern Science) को भी सहयोग देंगी. ऐसे में भारत में बनाया जा रहा यह ग्लोबल सेंटर आयुर्वेद को आगे ले जाने में कारगर होगा. कोरोना महामारी के दौरान ही देखा गया है कि भारत से आयुर्वेदिक उत्पादों (Ayurvedic Products) का निर्यात करीब 45 फीसदी तक बढ़ा है. इनमें हल्दी, अदरक, भारत के मसाले, आयुर्वेदिक इम्यूनिटी बूस्टर की मांग सबसे ज्यादा रही. ऐसे में कोरोना के दौरान एक तरफ वैक्सीनेशन (Vaccination) तो दूसरी तरफ आयुर्वेदिक उपायों को विश्व ने अपनाया. लिहाजा इस सेंटर के बनने के बाद इस दिशा में काफी प्रगति होने का अनुमान है.
सौजन्य न्यूज १८
https://hindi.news18.com/news/nation/pm-narendra-modi-cabinet-approves-who-global-center-for-traditional-medicine-to-be-established-in-jamnagar-dlpg-4058882.html