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मोदिने किया आयकरका नया प्लेटफार्म लौंच-फेसलेस असेसमेंट और टैक्सपेयर्स चार्टर आज से लागू किया
M Y Team दी. १३ अगस्त २०२०
फेसलेस अपील २५ सितंबर से लागु किया जाएगा. इनकम टैक्स सिस्टम को फेसलेस, सीमलेस और पेनलेस बनाने की कोशिश. टैक्सपेयर्स पर बेवजह शक नहीं किया जाएगा, अफसरों को करदाताओं पर भरोसा करना होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने १३ अगस्त २०२०, गुरुवार को देश के ईमानदार करदाताओं के लिए नया प्लेटफॉर्म ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन, ऑनरिंग द ऑनेस्ट (पारदर्शी कराधान-ईमानदार का सम्मान) लॉन्च किया. उन्होंने कहा कि इसमें ३ बड़े रिफॉर्म- फेसलेस एसेसमेंट, टैक्सपेयर चार्टर और फेसलेस अपील शामिल हैं. पहले दो १३ अगस्त से लागू हो गए हैं, जबकि फेसलेस अपील की व्यवस्था २५ सितंबर यानी दीनदयाल उपाध्याय जन्मदिवस से लागू हो जाएगी.
१ फेसलेस एसेसमेंट: आप जिस शहर में रिटर्न फाइल कर रहे हैं, वहां का इनकम टैक्स अफसर आपका केस नहीं देखेगा, बल्कि कंप्यूटराइज्ड प्रोसेस से देशभर के किसी भी अफसर को केस अलॉट हो जाएगा. इससे इनकम टैक्स अफसर टैक्सपेयर्स को बेवजह परेशान नहीं कर सकेंगे.
2. टैक्सपेयर चार्टर: इसका मकसद करदाताओं की दिक्कतें कम करना और अफसरों की जवाबदेही तय करना है. ताकि ईमानदार टैक्सपेयर्स को सम्मान मिले और उनकी शिकायतों का जल्द समाधान हो जाए.
3. फेसलेस अपील: नोटिस मिलने के बाद के प्रोसेस को लेकर भी टैक्सपेयर को कोई आपत्ति है तो वह अपील कर सकता है. यह भी फेसलेस प्रोसेस होगी, यानी अपील करने वाले और जिस अफसर के पास अपील पहुंचेंगी वे दोनों एक-दूसरे से अनजान रहेंगे. इससे यह तय किया जाएगा की सारे निर्णय सिरफ तथ्य और कायदेके अनुसार ही होगे.
इस अवसर पर श्री मोदीने आगे दी हुई अहम् बाते कही-
ईमानदार टैक्सपेयर की राष्ट्रनिर्माण में बड़ी भूमिका
मोदी ने कहा कि इस महत्वपूर्ण तोहफे के लिए टैक्सपेयर्स को बधाई देता हूं और इनकम टैक्स विभाग के अफसरों, कर्मचारियों को शुभकामनाएं देता हूं. बीते ६ साल में हमारा फोकस रहा है, बैंकिंग द अनबैंक, सिक्योरिंग द अनसिक्योर और फंडिंग द अनफंडेड. आज एक नई यात्रा शुरू हो रही है. ऑनरिंग द ऑनेस्ट, ईमानदार का सम्मान. देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बड़ी भूमिका निभाता है. वो आगे बढ़ता है तो देश भी आगे बढ़ता है.
पॉलिसी को पीपुल सेंट्रिक बनाने पर जोर
मोदी ने बताया कि आज से शुरू हो रहीं नई सुविधाएं देशवासियों के जीवन से सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है. हम हर नियम कानून को, हर पॉलिसी को प्रोसेस और पावर सेंट्रिक एप्रोच से निकालकर उसे पीपुल सेंट्रिक और पब्लिक फ्रेंडली बना रहे है. इसके सुखद परिणाम भी देश को मिल रहे हैं. आज हर किसी को ये अहसास हुआ है कि शॉर्ट कट ठीक नहीं है.
मोड़ने बतायी बदलाव की 4 वजह
प्रधानमंत्री ने कहा कि सवाल ये है कि बदलाव कैसे आ रहा है? मोटे तौर पर कहूं तो इसके 4 कारण हैं-
- पहला-पॉलिसी ड्रिवन गवर्नेंस।
- दूसरा-सामान्य जन की ईमानदारी पर विश्वास।
- तीसरा-सरकारी सिस्टम में ह्यूमन इंटरफेस को कम कर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल।
- चौथा-सरकारी मशीनरी में एफिशिएंसी, इंटीग्रिटी और सेंसेविटी के गुण को रिवॉर्ड किया जा रहा है।
१५०० से ज्यादा निकम्मे कानून खत्म किये
मोदी ने कहा कि एक दौर था जब रिफॉर्म की बड़ी बातें होती थीं, दबाव में लिए गए फैसलों को भी रिफॉर्म कह दिया जाता था. अब ये सोच और अप्रोच बदल गई है. हमारे लिए रिफॉर्म का मतलब है कि ये नीति आधारित हों, टुकड़ों में नहीं हों और एक रिफॉर्म दूसरे रिफॉर्म का आधार बने. ऐसा भी नहीं है कि हम एक बार रिफॉर्म करके रुक गए, बीते कुछ सालों में हमने १५०० से ज्यादा गलत कानूनों को खत्म किया गया है. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में कुछ साल पहले भारत १३४ वें नंबर पर था, अब ६३ वें नंबर पर है. इसके पीछे हमने किये हुए अनेक प्रयास और कई रिफॉर्म्स हैं.
विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा है
प्रधानमंत्री के मुताबिक अपने देश में विदेशी निवेशकों का भरोसा लगातार बढ़ रहा है. कोरोना काल में भी भारत में रिकॉर्ड एफडीआई आना इसी का उदाहरण है. भारत के टैक्स सिस्टम में फंडामेंटल रिफॉर्म की जरूरत इसलिए थी, क्योंकि ये गुलामी के कालखंड में बना और बहुत धीरे धीरे इवॉल्व हुआ. आजादी के बाद छोटे-छोटे बदलाव हुए लेकिन, ढांचा वही रहा. नतीजा यह रहा कि ईमानदार टैक्सपेयर्स को भी कटघरे में खड़ा किया जाने लगा.
कुछ लोगों की वजह से ज्यादातर को परेशानी हुई
मोदी ने कहा कि कुछ मुट्ठीभर लोगों की पहचान के लिए बहुत से लोगों को बेवजह परेशानी से गुजरना पड़ा. टैक्सपेयर्स की संख्या में बढ़ोतरी होनी चाहिए थी, लेकिन गठजोड़ की व्यवस्था ने ईमानदारी से व्यापार करने वालों को, युवा शक्ति की उम्मीदों को कुचलने का काम किया. जहां कॉम्प्लेक्सिटी होती है वहां, कम्प्लायंस भी बहुत कम होता है.
रिटर्न से लेकर रिफंड तक की व्यवस्था आसान
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब दर्जनों टैक्स की जगह जीएसटी आ गया है. रिटर्न से लेकर रिफंड तक की व्यवस्था को आसान किया गया है. पहले १० लाख रुपए से ऊपर के टैक्स विवादों में सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाती थी. अब हाईकोर्ट में १ करोड़ और सुप्रीम कोर्ट में २ करोड़ रुपए के ऊपर के मामलों की सीमा तय की गई है. बहुत कम समय में ही करीब ३ लाख विवादों को सुलझाया जा चुका है. ५ लाख रुपए तककी आय पर अब आयकर नहीं है. आगेकी बाकी स्लैब पर भी आयकर कम हुआ है. कॉर्पोरेट टैक्स के मामले में भारत दुनिया के सबसे कम टैक्स लेने वाले देशों में से एक है.
टैक्स रिटर्न भरने वाले बढ़े, पर १३० करोड़ की आबादी में टैक्सपेयर काफी कम
मोदी ने बताया कि २०१२-१३ में जितने रिटर्न फाइल होते थे, उनमें से ०.९४% की स्क्रूटनी होती थी. २०१८-१९ में ये घटकर ०.२६% तक कम कर दी गयी है. यानी स्क्रूटनी चार गुना कम हुई है. रिटर्न भरने वालों की संख्या में बीते ६ सालों में करीब २.५ करोड़ की बढ़ोतरी हुई है. लेकिन, इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि १३० करोड़ लोगों के देश में टैक्स भरने वालों की संख्या अभीभी बहुत कम है. सिर्फ १.५ करोड़ साथी ही इनकम टैक्स जमा करते हैं. आपसे अपील करूंगा कि इस पर हम सब को चिंतन करने की जरूरत है. टैक्स जमा करने वालोंकी संख्या बढ़ाना ये आत्मनिर्भर भारत के लिए जरूरी है.
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