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घर चलाने में गृहिणियों की बचाई रकम पर नहीं लगेगा इनकम टैक्स, आईटीएटी ( इनकम टैक्स ट्रायब्यूनल ) ने दिया है फैसला
M Y Team दिनांक २५ जून २०२१
आगरा स्थित इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) के एक बेंच ने माना है कि महिलाएं घर चलाते समय कुछ न कुछ पैसे बचाती हैं। साथ ही उन्हें पति से भी कुछ पैसे मिल जाते हैं। इसके साथ ही बच्चों को घर आए कुछ रिश्तेदारों से भी पैसे मिलते हैं जो कि अंतत: गृहिणी के बचत (Housewives Saving) में ही शामिल हो जाता है। इस रकम को आयकर विभाग उस महिला की आमदनी (Income) नहीं बता सकता।
गृहिणी पैसे कैसे बचाती हैं?
जो महिला शुद्ध रूप से हाउसवाइफ होती हैं, उनके उपर घर के मैनेजमेंट (Home Management) की भी जिम्मेदारी होती है। घर गृहस्थी के रोज सौ काम होते हैं। सुबह से उनका काम शुरू होता है तो देर शाम तक चलता रहता है। इस बीच वह राशन लेती हैं, दूध-अंडे-ब्रेड खरीदती हैं। फल-सब्जी खरीदती हैं। कुछ खराबी हो तो प्लंबर और इलेक्ट्रिशियन से काम कराती हैं। इस तरह के काम में मोल-भाव कर वह कुछ पैसे बचा ही लेती हैं। फिर कोई रिश्तेदार आया या कहीं जाना हुआ तो बच्चों को या उन्हें कुछ नकद पैसे मिल जाते हैं। इसे भी बचत के गुल्लक में ही डाल दिया जाता है। इसी तरीके से कोई कोई गृहिणी हजारों ही नहीं एक-दो लाख रुपये भी बचा लेती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस पर इनकम टैक्स (Income tax) लगेगा?
नोटबंदी में बाहर आई बचत
आमतौर पर गृहिणियों की बचाई रकम की थाह तो उनके पति भी नहीं लगा सकते हैं। लेकिन साल 2016 में जब नोटबंदी आई थी ऐसी बचत भी सामने आ गई थी। इसी तरह की एक गृहिणी ने अपनी बचत की 2,11,500 रुपये के पुराने नोट बैंक में जमा कराए थे। इस रकम को उन्होने अपनी बचत बताया था। इस रकम को आयकर अधिकारी अडिशनल इनकम मान रहे थे और उस पर इनकम टैक्स की डिमांड कर दी। इसके बाद उस महिला ने इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल की शरण ली।
आईटीएटी ने क्या फैसला दिया
आगरा स्थित आईटीएटी में न्यायिक सदस्य ललित कुमार और लेखा सदस्य डा. मीठा लाल मीणा ने कहा कि नोटबंदी के समय उक्त महिला ने जो 2,11,500 की रकम जमा कराई, वह ढाई लाख रुपये की सीमा के अंदर है। इसलिए इसे एक्सेस इनकम नहीं माना जा सकता है। मतलब यह असेसी की कमाई नहीं है। इस पर कराधान भी नहीं होगा। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा कि असेसी ने यह रकम अपने पति, बच्चों और रिश्तेदारों से मिली छोटी-छोटी रकम को जोड़ कर बचाई है। असेसी ने इसका पूरा विवरण भी दिया है। इसे मानने में कोई गुरेज भी नहीं है। इसलिए इस पर कोई टैक्स अथॉरिटी टैक्स नहीं वसूल सकता।
आईटीएटी ने और क्या कहा
ललित कुमार और मीठा लाल मीणा की बेंच ने यह भी कहा कि उक्त मामले में यह नहीं कहा जा सकता कि महिला के पास कमाई का कोई जरिया नहीं था। क्योंकि यह माना जाता रहा है कि गृहिणी सालों से परिवार में कई आर्थिक काम करती आ रही हैं। बेंच ने कहा कि अगर हम बहस के लिए इस ब्यौरे को दरकिनार भी कर देते हैं तो असेसिंग अधिकारी को इसके पुख्ता सबूत देने होंगे कि बैंक में जमा रकम अघोषित आय थी। इसे किसी कारोबार या अन्य तरीके से बनाया गया है। अथॉरिटी की तरफ से इस बारे में कोई सबूत नहीं दिया गया है।
सौजन्य-नवभारत टाइम्स
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