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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमणने पेश किया नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन प्रोग्राम
M Y Team दिनांक २४ अगस्त २०२१
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिनांक २३ अगस्त को नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन प्रोग्राम (NMPP) को पेश किया है. सन २०२१ की बजट में शास्वत इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स फायनांस के लिए इस मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन प्रोग्राम का जिक्र किया गया था. अभी जारी किये प्रोग्राम के जरिए जुटाए गए राशिसे केंद्र सरकार, सरकारी कंपनियों में विनिवेश के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का फायनांस करेगी.
नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline) का स्वरुप
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन प्रोग्राम को लॉन्च करते हुए कहा, इस प्रोग्राम के जरिये सरकार उसके अंडर-यूटिलाइज्ड एसेट्स याने क्षमतासे कम उपयोग किये जाने वाली मालमत्ता निजी क्षेत्र को व्यावसायिक उपयोग के लिए भाड़े ( लीज ) पर देगी. संपत्ति का स्वामित्व सरकार के पास ही रहेगा और प्राइवेट सेक्टर के पार्टनर को तय समय के बाद अनिवार्य रूप से इनका कंट्रोल वापस करना होगा. नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन में ब्राउनफील्ड एसेट्स याने की पहलेसे बने हुए एसेट की बात कही गई है जिनका व्यावसायिक उपयोग और बेहतर ढंग से करने की जरूरत है और करना संभव है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया की सरकार ने इस प्रोग्राम के तहत इन्फ्रा सेक्टरकी सरकारी कंपनियों की उस एसेट की पहचान की है जिससे अगले कुछ सालों में रकम जुटाई जा सकती है. इन्ही असेटको और उनके संभाव्य उपयोग को सामने रखाते हुए छह लाख करोड़ रुपये की नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन की घोषणा की गयी है. इसके तहत वित्त वर्ष २०२२ से २०२५ तक ६ लाख करोड़ रुपये के लीज व्हेल्यु के एसेट्स निजी क्षेत्र को लीज पर दिए जा सकते हैं. इनमें रेलवे, बिजली,सड़क जैसे अलग-अलग बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के एसेट्स शामिल हैं.
नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline) का उद्देश
मोदी सरकारने सं २०१९ में एक नेशनल इन्फ्रास्ट्रकचर पाईपलाइन बनायी है. इसमें कुल ८१४८ इन्फ्रा प्रोजेक्टका निर्माण किया जारहा है. यह प्रोजेक्ट २०१९-२०२५ इस वर्षोमे बनाए जाएंगे. इस भव्य निर्माण के लिए १० लाख करोड़ की लागत लगेगी. उस प्रोजेक्ट के लिए निधि जुटाने के लिए यह मोनेटायझेशन किया जा रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने २०२१-२२ के बजट भाषण में कहा था कि नए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए एसेट मॉनेटाइजेशन को एक बहुत महत्वपूर्ण वित्त-पोषण विकल्प है. बहुतसे सरकारी असेट बहुत किमति है मगर पर्याप्त मात्रामे उसका उपयोग किया नहीं जाता है.इसीलिए सरकार, संपत्तियों के मॉनेटाइजेशन को केवल सिर्फ फंडिंग का जरिया ही नहीं बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के रखरखाव और विस्तार की बेहतर रणनीति के तौर पर देख रही है.
सरकार की मनशा कुछ बेचनेकी नहीं है
एक गलत फहमी जान बुझकर फैलाई जा रही है कि सरकार इन संपत्तियों को बेच दे रही है. मगर ऐसा नहीं है. सरकार का इस संपत्ति पर मालिकाना हक बरकरार रहेगा. इस संपत्तिका पूरा उपयोग करनेका अधिकार एक पारदर्शी प्रक्रिया के तहत निजी कंपनियों या निवेशकों को दिया जाएगा. यह लीज पे दिए जाएंगे और इस दरम्यान इस सम्पत्तिपर सरकार का अधिकार बरकरार रहेगा.
निश्चित की गयी मुख्य सरकारी संपत्ति
सरकार ने इस प्रोग्राम में ६ लाख करोड़ रुपए की जिस संपत्ति की पहचान की है, उसमें सड़क सबसे ऊपर है. सरकार का मकसद हाइवे को बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (BOT) मॉडल पर ट्रांसफर करके १.५ लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य है. इसके बाद नंबर आता है रेलवे का जिसमें सरकार ने १ लाख ५२ हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है. इसके बाद पावर सेक्टर यानी पावर ग्रिड की ट्रांसमिशन लाइन को मॉनेटाइज करके सरकार ने ४५ हजार २०० करोड़ रुपए जुटाए जाने हैं. NTPC, NHPC या कोल इंडिया के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स को मॉनेटाइज करके सरकार ने ३९ हजार ८३२ करोड़ रुपए का लक्ष्य तय किया गया है. गैस सेक्टर में Gas Authority of India Limited (GAIL) की पाइपलाइन को मॉनेटाइज करके करीब २४००० करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा गया है. IOCL और HPCL की पाइपलाइन को मॉनेटाइज करके २२००० करोड़ रुपए का लक्ष्य तय किया गया है.