केंद्र शासनने ग्रामीण भारत में लोकडाउन में पहुंचाये १ लाख ५० हजार करोडसे अधिक रूपये. प्रा विनायक आम्बेकर
कोरोना महामारिकी वजहसे लौक डाउन होने के बाद केंद्र शासन ने ग्रामीण भारत में जो आत्मनिर्भर आर्थिक पैकेज देनेंकी घोषणा की थी उसके चलते अब तक १ लाख ५० हजार करोड़ रुपियोंसे से ज्यादा रकम पहुचायी है. ताजा इंडियन एक्सप्रेसमें छपी खबर में यह सूचित किया है की यह रकम कृषि उपजकी खरीदारी, पि एम् किसान योजनाकी तहत दिया हुआ अर्थ सहाय्य और मनरेगा योजनामे दिए हुए तनखाके माध्यमसे पहुचाये गए है.
एन एस ओ ने प्रसिद्द किये हुए सुचनाके अनुसार आर्थिक वर्ष २०१९-२० की आखरी दो तिमाहिमे खेती उत्पाद्में हुई बढ़ोतरी सर्वसाधारण उत्पाद्में हुई बढ़ोतरीसे बहुत ज्यादा है. यह बढ़ोतरी नोमिनल तथा रीअल दोनों मुल्यान्कनोमे ज्यादा है. केंद्र शासनने यह मानाकी लोकडाउन में कृषि उपज यह एक आवश्यकता तो है ही मगर उसके साथ उस कालावाधिमे कोरोनाके कारण लगे निर्बंधोमे कृषि कार्य करना संभवनीय भी है. इसीलिए कृषिकार्यके लिए यंत्र तथा कामगारके आने जानेपर कमसेकम निर्बंध लगाए गए थे. इसी कारन इस सालकी रबी सिझन का कृषि उत्पादन बम्पर उत्पादन हो सका.
केंद्र शासन ने यह देखा की एक तरफ कोरोनाके कारण लगे निर्बंधोंसे दूध,सब्जिया, फल जैसे नाशवान उत्पाद समयपर बाजारतक न पहुचनेसे किसानको भारी नुकसान हो रहा है. तो दूसरी तरफ पोल्ट्री, पिगरी जैसे कृषि पूरक चिजोंकी मांग कम होने से किसानको नुकसान हो रहा है. इस बातको ध्यानमे लेते हुए एक तो केंद्र शासन ने कृषियन्त्र तथा कृषि कामगारोंके आने जानेपर कमसे कम निर्बंध लगाकर रबी सिझनमें कृषि उत्पादन ज्यादा हो इसकी व्यवस्था की. दूसरी तरफ केंद्र शासनकी संस्थाओने रबी सिझनके कृषि उत्पादोकी जोरदार खरीदी करके किसानोंको राहत दी. सन २०१९-२० की आखरी तीन महीनोमे शासनने ३८.६ दशलक्ष टन गेहुकी खरीदारी की और उसकी मुल्यतम सहायक कीमत के अनुसार ७४ हजार २०० करोड़ रुपये का भुगतान किया. धान की खरीदारी ७४.३ दशलक्ष टन की हो गयी जिसमे १५.७ दशलक्ष टन धान मार्च के बाद लोकडाउन के समय में हुआ जिसके भुगतान २८ हजार ५०० करोड़ रुपिया किया गया. इसीके साथ चना, तुर, मस्टर्ड इसकी २.९ दशलक्ष टन की खरीदारी करके सब मिलाकर १३ हजार ८०० करोड़ रुपियोंका भुगतान किया गया. इस तरह शासकीय संस्थाओने कुलमिलाकर १ लाख १६ हजार ५०० करोड़ रुपियोंका भुगतान देशभरकी किसानोको किया गया.
इसी दरम्यान आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पॅकेजमें घोषित कि हुई पि एम् किसान सम्मान निधिकी पहली किश्त जो प्रति किसान २ हजार रुपये थी वह भी किसानोंके बैंक खातोमे डाली गयी. उसकी कुल राशि १६ हजार ७०० करोड़ रुपिया थी. उस रकम में कृषि उपज खरीदिकी रकम में पकडे तो एकत्रित राशि १ लक्ष ३३ हजार २०० करोड़ होती है. लोक डाउन के केवल तीन महीनोमे देशकी किसानोंके हाथमे इतनी बड़ी राशि पहुचाना और उनको कोई आर्थिक असुविधा न होने देना यह अपने आपमें एक विक्रम है और नरेन्द्र मोदी शासन की किसानोंके प्रति जो कमिटमेंट और आस्था है उसका दर्शन माना जा सकता है.
कुल ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाका विचार करे तो मनरेगा ग्रामीण रोजगार योजनाके अंतर्गत १ अप्रैलके बाद १७ हजार ६२२ करोड़ रुपियोंका भुगतान हुआ है. जिसके लाभार्थियोंमे छोटे किसान और भूमिहीन मजदूर भी सम्मिलित है. तो यह रकम मिलाकर ग्रामीण अर्थ व्यवस्थामें मोदी सरकारने कुल मिलाकर १ लक्ष ५० हजार ८२२ करोड़ रुपिया केवल तीन महीनोमे करोनाके कारण जारी किये नियमोंका पालन करते हुए पहुचाये है. इसके साथ ही हालही में जारि किये हुए कृषि क्षेत्र रिफोर्म को जोड़े तो मोदी सरकारने किसानोकी पूरी सहायता करते हुए उनकी आमदनी दुगुनी करनेके अपने वचन की तरफ जोरदार पहल की है.
सूचना: यह जानकारी आपको अच्छी लगी तो जादा से जादा किसान भाइयोतक पहुचाये. प्रा.विनायक आम्बेकर, पूना.
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