वन नेशन वन मार्किट- मोदी सरकारका क्रांतिकारी फैसला प्रा विनायक आम्बेकर
भारत के किसानोंके बुरे हालतके बारेमे आजतक जब जब चर्चा होती थी तभी वास्तव बताया जाता था की खेती किफायती नहीं है. विशेषग्य इस चर्चामें जब कारण मीमांसा करते थे तब एक पॉइंट के ऊपर जादातर विशेषग्य सहमति दिखाते थे और वो था की किसानका अपने उपजकी विक्रिपर नियंत्रण नहीं है. अपनी उपजको बेचनेका काम कानूनी तौरसे उसको कृषि मंडीमें स्थित धनवान व्यापारी और बिचौलियोंके माध्यमसेही करना पड़ता है. इस वजहसे किसानको उसकी उपजका पूरा दाम नहीं मिलता है और उधर ग्राहकोंको बढे चढ़े दामसे कृषि उत्पाद खरीदने पड़ते है. इस बीचका बड़ा मुनाफ़ा धनवान व्यापारी और बिचौलिये खा जाते है. इस विडम्बनाको दूर करते हुए नरेन्द्र मोदी सरकारने इस हफ्ते कृषि क्षेत्रको बन्धमुक्त करनेके क्रांतिकारी फैसले लिए और ईस देशके किसानोंकी आमदनी दुगनी करनेके अपने चुनावी वादेको वास्तवमे लाया है.
मोदी सरकार ने कृषिक्षेत्र के बारेमे इस बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में तीन अध्यादेशों के मसौदों को मंजूरी दी है. एक अध्यादेशके तहत देश का किसान अपनी उपज को अब पुरे देशमे उच्चतम भावमें कहीं भी बेच सकेगा. दुसरे अध्यादेशसे कृषि उत्पादों को आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के दायरे से बाहर कर दिया गया है. साथ ही तीसरे अध्यादेशके जरिये कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग यानी ठेका खेती को कानूनी दर्जा मिल गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीने यह भी कहा कि सरकार के फैसलों से किसानों को उत्पादन से पहले ही मूल्य आश्वासन की भी गारंटी उपलब्ध होगी. साथमें कृषि सेवाओं के अनुबंध से न केवल किसानों को अत्याधुनिक जानकारी मिलेगी, बल्कि उन्हें तकनीक और पूंजी की सहायता भी मिलेगी. इसके जरिए अन्नदाताओं का सशक्तिकरण और संरक्षण भी संभव होगा. इन फैसलों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने कहा कि किसानों की दशकों पुरानी मांग पूरी हुई है और एक देश, एक कृषि बाज़ार का सपना साकार होगा.
मंत्रिमंडल के फ़ैसले की घोषणा करते हुए, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘मौजूदा एपीएमसी मंडियां काम करना जारी रखेंगी. राज्य एपीएमसी कानून बना रहेगा लेकिन मंडियों के बाहर, नया अध्यादेश लागू होगा.’ उन्होंने कहा कि पैन कार्ड वाले किसीभी किसान से कृषिउपज खरीदकर कंपनियां, प्रोसेसर और प्रोसेसर मंडली ( एफपीओ ) अधिसूचित मंडियों के परिसर के बाहर बेच सकते हैं. खरीदारों को तुरंत या तीन दिनों के भीतर किसानों को भुगतान करना होगा और माल की डिलीवरी के बाद एक रसीद प्रदान करनी होगी. मंत्री ने कहा कि मंडियों के बाहर व्यापार करने में कोई कानूनी बाधा नहीं आएगी. मौजूदा समय में, किसानों को सिर्फ पूरे देश में फैली ६९०० एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समितियों) मंडियों में अपनी कृषि उपज बेचने की अनुमति है. मंडियों के बाहर कृषि उपज बेचने में किसानों के लिए प्रतिबंध हैं. नए अध्यादेश के जरिये यह प्रतिबन्ध हटाया गया है.
दूसरे अध्यादेशके तहत केन्द्री य मंत्रिमंडल ने आवश्यसक वस्तुर अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन को मंजूरी दी है और उस कानून के कठोर नियामकीय व्यतवस्था को उदार बनाया है. इसके चलते बहुतांश कृषि उत्पाद प्याज, आलू, खाद्य तेल, तेल के बीज इस अधिनियम से बाहर कर दिए है. अब किसान इन वस्तुओंको ऊँचे भावमें बेच सकते है. इस संशोधन के तहत मूल्यक श्रृंखला (वैल्यूय चेन) के किसी भी प्रतिभागी की स्थाकपित क्षमता और किसी भी निर्यातक की निर्यात मांग पुराने कानूनके तरह स्टॉेक सीमा लगाए जाने से मुक्ती रहेगी.
मगर किसानको सुविधा देते वक्त मोदी सरकारने सामान्य उपभोक्तानओं के हितों की रक्षा का भी खयाल रखा है. इसी संशोधन में यह भी व्योवस्थाक की गई है कि अकाल, युद्ध, कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि और प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में इन कृषि उपजों की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है. इसमें कहा गया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 को मंजूरी दी. इससे किसानों के लिए एक सुगम और मुक्त माहौल तैयार हो सकेगा जिसमें उन्हें अपनी सुविधा के हिसाब से कृषि उत्पाद खरीदने और बेचने की आज़ादी होगी.
इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने “द फार्मर्स एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेस ऑर्डिनंस, 2020” पर भी मुहर लगा दी है. इस अध्यादेश की मदद से किसान और प्रोसेसिंग यूनिट और कारोबारियों के बीच करार आधारित खेती को बढ़ावा मिलेगा. और किसान जो अभी अपने उत्पादकों बेचनेकी चीन्तामे व्यस्त रहता है उसको राहंत मिलेगी. करार खेतीसे किसानके उत्पादनकी प्रोसेसिंग और मार्केटिंग अच्छी होगी. हालहीमे कोरोना इकोनोमिक पैकेजमें जो कृषि इन्फ्रा और फार्मगेट प्रोसेसिंग के लिए बड़े निवेशकी घोषणा की थी वह प्रत्यक्षमें लानेको सहाय्यता मिलेगी. एक अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विशेषग्य संस्था ई वाय इण्डिया के सलाहगारने अनुमान जताया है की मोदि सरकार इन अध्यादेशोंके अवलम्बनसे किसोनोंकी आमदनी २५ से ३० प्रतिशत ( उनके उत्पाद्के अनुसार) बढ़ सकती है.
किसानोके नामपर अपनी राजनीतिकी चुकाने चलानेवाले वामपंथी किसान नेता इन दूरदर्शी बद्लाओंको सहजतासे नहीं ले रहे है. किसान सभा ने कहा है कि वास्तव में इन निर्णयों के जरिये मोदी सरकार ने देश के किसानों और आम जनता के खिलाफ जंग की घोषणा कर दी है, क्योंकि यह किसान समुदाय को खेती-किसानी के पुश्तैनी अधिकार से ही वंचित करता है और उन्हें भीमकाय कृषि कंपनियों का गुलाम बनाता है. ये कंपनियां किसानों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार की शर्तों के साथ बांधेगी, जिससे फसल का लागत मूल्य मिलने की भी गारंटी नहीं होगी. किसानको अपना वोट बैंक बनाके रखनेकी उनकी पुरानी आदत है उसको नष्ट करनेवाले इन सुधारोंको उनका विरोध होना स्वाभाविक ही है.
सुचना: यह मेरे निजी विचार है. आपको सही लगे तो जरूर प्रसारित कीजिएगा. परा. विनायक आम्बेकर, पुना.
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