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देश के लाखों किसानों ने छोड़ी रासायनिक खेती, जानें जैविक खेती के फायदे
M Y Team दिनांक १ जून २०२१
पिछले कुछ दशकों से देश में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए रासायनिक खेती बड़े पैमाने पर की जाने लगी थी. जिसके चलते एक तरफ मिट्टी की सेहत बिगड़ गई, वहीं मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ा है. यही वजह है कि केंद्र सरकार किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित कर रही है. नतीजतन, पिछले पांच सालों में देश के 15 लाख से अधिक किसानों ने रासायनिक खेती छोड़ दी और जैविक खेती का रूख किया है. माना जा रहा है कि सरकार के प्रोत्साहन और जैविक खेती के फायदों को देखते हुए किसानों में जैविक खेती करने का रूझान बढ़ रहा है.
केन्द्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 5 सालों यानी 2015-16 से 2020-21 तक जैविक खेती का रकबा काफी बढ़ा है. इन सालों में जैविक खेती के लिए लगभग 6.19 लाख हेक्टेयर नया क्षेत्र कवर किया गया है. केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जानकारी दी है कि बीते पांच वर्षो में लगभग 15.47 लाख किसानों ने रासायनिक खेती छोड़ दी. जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार ने परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत लगभग 15,76.65 करोड़ रूपये की राशि खर्च की है.
गौरतलब है कि जैविक खेती का बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार आह्वान कर चुके हैं. यही वजह है कि रासायनिक खेती को छोड़कर देश के किसान अब जैविक खेती पर फोकस कर रहे हैं. बता दें कि जैविक खेती का सर्टिफिकेट लेने के लिए किसानों को न्यूनतम 3 सालों का समय लगता है. किसानों को रासायनिक खादों और कीटनाशकों का इस्तेमाल न्यूनतम 3 सालों तक बंद करने के के बाद ही जैविक उत्पादन के मानक नियम के अनुसार जैविक खेती का सर्टिफिकेट मिलता है. इस दौरान खेत में रासायनिक तत्वों का असर समाप्त हो जाता है और जैविक खेती के लिए जमीन तैयार हो जाती है.
जैविक खेती क्यों जरूरी है? (Why is Organic Farming Necessary?)
लगातार रासायनिक खेती करने के कारण एक तरफ मिट्टी में पोषक तत्वों को कमी हो रही है और भूमि बंजर में तब्दील होती जा रही है. वहीं दूसरी तरफ रासायनिक खेती से उत्पादित अन्न का विपरीत असर मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है. कुछ दावों के मुताबिक, रासायनिक खेती से उत्पादित अन्न के कारण कैंसर समेत अन्य बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है. इसके चलते लोगों की सेहत खराब हो रही है. गौरतलब है कि देश में हरित क्रांति के बाद से रासायनिक खादों और कीटनाशकों का धड़ल्ले से प्रयोग हुआ है. जिससे मिट्टी का स्वास्थ्य भी बूरी तरह बिगड़ गया है. वहीं लोगों की सेहत भी खराब हो रही है. यही वजह हैं कि जैविक उत्पादों की मांग अब काफी बढ़ गई है. इस वजह से किसान जैविक खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
इन राज्यों में बढ़ा जैविक खेती का रकबा (Increased area of Organic Farming)
वैसे तो देश के विभिन्न हिस्सों में जैविक खेती के प्रति किसानों का रूझान बढ़ा है. लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, असम और ओडिशा के किसान जैविक के प्रति काफी जागरूक है. यहां जैविक खेती का रकबा लगातार बढ़ रहा है. वहीं सिक्किम भारत का पहला राज्य है जहां जनवरी 2016 से 100 प्रतिशत जैविक खेती हो रही है. भारत में साल 2003-04 में लगभग 76,000 हेक्टेयर पर जैविक खेती की जा रही थी जो 2009-10 में बढ़कर 10.85 लाख हेक्टेयर तक हो गई. वहीं आज देश में लगभग 33.32 लाख हेक्टेयर पर जैविक तरीके से खेती की जा रही है.
जैविक उत्पादों की बढ़ी मांग (Increased Demand for Organic Products)
भारत के जैविक उत्पादों की मांग दुनियाभर में बढ़ती जा रही है. एपिडा के अनुसार, भारत ने साल 2019-20 में 6,38,998 मिट्रिक टन जैविक उत्पादों निर्यात किया गया. जिसकी कीमत लगभग 4,686 करोड़ रुपये आंकी गई. इसी तरह भारत ने वर्ष 2017-18 में 4.58 लाख मीट्रिक जैविक उत्पाद निर्यात किए थे. जिससे देश को 3453.48 करोड़ रुपये कमाई हुई. भारत अमेरिका, कनाड़ा, स्विट्जरलैंड, यूरोपीय संघ, इजरायल, आस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, वियतनाम और जापान को जैविक उत्पाद निर्यात करता है.
सौजन्य- कृषि जागरण
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