Yojana Details- RoDTEP Scheme
निर्यातकों को बढ़ावा देने वाली RoDTEP स्कीम हुई एक्टिव, 8555 आइटम पर मिलेगा 12,400 करोड़ का रिफंड
M Y Team दिनांक २० अगस्त २०२१
निर्यात को बढ़ावा देने वाली अपनी महत्वाकांक्षी योजना पर सरकार ने 12,400 करोड़ रुपए खर्च करने का ऐलान किया है। वाणिज्य विभाग ने 8,555 उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने वाली रेमिशन ऑफ ड्यूटीज एंड टैक्सेज ऑन एक्सपोर्टेड प्रॉडक्ट्स ( Remission of Duties & Taxes on Exported Products-RoDTEP ) स्कीम के लिए रिफंड रेट तय कर दिए हैं। इस योजनामे जिस उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दिया जा रहा उसमे सामुद्रिक ( मरीन) उत्पादन, वस्त्रोद्योग उत्पादन, डेअरी उत्पादन जैसे उत्पाद शामिल है I
इस स्कीम का ऐलान दो साल पहले किया था, लेकिन कई डेडलाइन मिस होने के बाद यह इस साल शुरू हो पाई। हालांकि, योजना 1 जनवरी 2021 से चालू हुई, लेकिन रिफंड की दरें उपलब्ध नहीं होने से यह सक्रिय नहीं थी। रिफंड के दरोंके लिए 0.5% से 4.3% की रेंज तय की गई है।
वाणिज्य सचिव BVR सुब्रह्मण्यम ने कहा कि RoDTEP से एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा और यह दुनिया भर में कॉम्पिटिटिव हो जाएगा। लेकिन कुछ प्रॉडक्ट को इसके दायरे से बाहर रखे जाने और रिफंड रेट को लेकर विशेषज्ञों को निराशा हाथ लगी है।
इकोनॉमिक लॉज प्रैक्टिस के सीनियर पार्टनर रोहित जैन के मुताबिक, ‘RoDTEP के रेट और गाइडलाइंस के नोटिफिकेशन जारी हो गए हैं। EOU, SEZ से होने वाले एक्सपोर्ट और स्टील, फार्मा जैसे बड़े आइटम को बेनेफिट नहीं मिलना निराशाजनक है।’ ‘ऐसा लगता है कि रिफंड रेट तय करने में बजट बड़ा फैक्टर रहा है। बड़े सेक्टर और कैटेगरी को बेनेफिट नहीं मिलने से निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता पर गहरा असर होगा। निर्यातकों में नकारात्मक संकेत जाएगा।’
इस योजना का मकसद निर्यातकों को माल ढुलाई में खर्च होने वाले ईंधन पर लगा VAT, मंडी टैक्स और उत्पादन में खर्च हुई बिजली पर लगे शुल्क वगैरह को वापस दिलाना है। अब तक निर्यातकों को इन सबका रिफंड नहीं मिलता था।
रिबेट निर्यात वाले उत्पाद की फ्रेट ऑन बोर्ड (FOB) वैल्यू के प्रतिशत में लिया जा सकेगा। FOB में ढुलाई का खर्च सामान बेचने वाला उठाता है। कुछ प्रॉडक्ट के मामले में रिबेट प्रति यूनिट के हिसाब से लिया जा सकेगा, जिसकी अधिकतम सीमा तय रहेगी।
इस स्कीम में रिबेट ट्रांसफर किए जा सकने वाले ड्यूटी क्रेडिट/ इलेक्ट्रॉनिक स्क्रिप के तौर पर मिलेंगे। इसका इस्तेमाल आयात पर लगने वाला बेसिक कस्टम्स ड्यूटी चुकाने में किया जा सकेगा। इसका हिसाब-किताब सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) रखेगा।
सरकार ने इस स्कीम को तब शुरू किया था जब वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) ने मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (MEIS) को बंद करा दिया था। 2015 में शुरू हुई यह स्कीम निर्यात को बढ़ावा देने वाली देश की सबसे अहम योजना थी।
वियतनाम, थाईलैंड और नाइजीरिया जैसे छोटे देश एक्सपोर्ट मार्केट में भारत को कड़ा कॉम्पिटिशन दे रहे हैं। ऐसे में RoDTEP स्कीम से यह तय होगा कि भारतीय कंपनियों और उत्पादकों को सरकार की तरफ से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कितना सपोर्ट मिलेगा।