जोजिला टनल: ३.५ घंटे का सफर १५ मिनट में होगा पूरा, जानें कहां तक पहुंच चुका है प्रॉजेक्ट और क्या है खासियत

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जोजिला टनल: ३.५  घंटे का सफर १५  मिनट में होगा पूरा, जानें कहां तक पहुंच चुका है प्रॉजेक्ट और क्या है खासियत

M Y Team दिनांक २९ सप्टेम्बर २०२१

कश्मीर में श्रीनगर, द्रास, करगिल और लेह के इलाके हर मौसम में जुड़े रहें, यह सपना सदा से रहा है। कभी अंग्रेजों ने इसके लिए सोचना शुरू किया था, लेकिन तब कश्मीर के इलाके में इतना निवेश फलदाई नहीं लगा। इसलिए इस पर कोई खास काम नहीं हुआ। आजादी के बाद भी इस दिशा में ज्यादा काम नहीं हो सका। लेकिन अब सरकार ने इस योजना पर तवज्जो देना शुरू कर दिया है। इसलिए कहा जा रहा है कि वह दिन दूर नहीं, जब ये इलाके किसी मौसम में शेष भारत से अलग थलग नहीं पड़ेंगे।

हर साल जब श्रीनगर, लेह और लद्दाख के इलाकों में भारी बर्फबारी होती है तो श्रीनगर-लेह-लद्दाख हाइवे बंद हो जाता है। अब कुछ ही साल की बात है और फिर इन इलाकों में साल भर बेरोकटोक आवाजाही होगी। इसके लिए केंद्र सरकार 14.5 किलोमीटर लंबी जोजिला सुरंग बना रही है। इसे समुद्र तल से 3,000 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर बनाया जा रहा है। इस परियोजना के पूरा हो जाने के बाद सर्दियों में रास्ता बंद होने की परेशानी दूर हो जाएगी। इसे इतनी उंचाई पर बनाई जाने वाली एशिया की सबसे लंबी सुरंग बताया गया है। आइए जानते हैं कि जोजिला टनल में खास क्‍या है।
​साढ़े तीन घंटे की दूरी 15 मिनट में होगी तय

इस समय श्रीनगर से करगिल की दूरी तय करने में काफी समय लगता है। सिर्फ जोजिला दर्रे का इलाका पार करने में ही तीन से साढ़े तीन घंटे लगते हैं। जब यह सुरंग तैयार हो जाएगी तो साढ़े तीन घंटे का सफर सिर्फ 15 मिनट में पूरा हो जाएगा। एक 18 किलोमीटर लंबी अप्रोच रोड भी बनाने की प्रक्रिया चल रही है, जो Z मोड़ सुरंग से जोजिला टनल तक जाएगी। इस रोड पर ऐसे एवलांच प्रोटेक्‍शन स्‍ट्रक्‍चर्स बनाए जाएंगे, जो दोनों सुरंगों के बीच हर मौसम में कनेक्टिविटी देंगे।

​आम जनता, सेना के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी इसलिए अहम

यह सुरंग सेना के साथ-साथ आम जनता और पर्यटकों के लिए भी बेहद अहम है। इसके पूरा होने पर कश्मीर घाटी से लद्दाख का संपर्क बारहों महीने बना रहेगा। अभी लेह और लद्दाख भारत के भू-भाग से साल में पांच-छह महीने कटे रहते हैं। ऐसे में वहां न सिर्फ आटा, दाल, चावल बल्कि हरी मिर्च, अदरक और धनिया पत्ते तक जमा कर के रखने पड़ते हैं। जब यह सुरंग तैयार हो जाएगी तो लेह-लद्दाख में महीनों का राशन स्टोर करके नहीं रखना होगा।

यह सुरंग बनने के बाद श्रीनगर, द्रास, करगिल और लेह के इलाके हर मौसम में जुड़े रहेंगे। रणनीतिक रूप से भी यह बेहद महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि इस रोड के जरिए सियाचिन में तैनात जवानों को भी सप्‍लाई जाती है। सर्दियों में बाकी देश से कटे रहने वाले यह इलाके जब पूरे साल देश से जुड़ेंगे तो उनका विकास तेजी से होगा। इसकी डिमांड पिछले 30 साल से हो रही थी। अब श्रीनगर-करगिल-लेह के रास्‍ते में हिमस्‍खलन का डर नहीं रहेगा।

​कैसे बना प्‍लान, टेंडर और क्‍या है लोकेशन

इस सुरंग की नींव तो मई 2018 में ही रख दी गई थी। लेकिन टेंडर पाने वाली कंपनी IL&FS दिवालिया हो गई। उसके बाद हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को 4,509.5 करोड़ रुपये में इसका ठेका मिला। सरकार का दावा है कि वह प्रॉजेक्‍ट की रिमॉडलिंग के जरिए 3,835 करोड़ रुपये बचा लेगी। पूरे प्रॉजेक्‍ट की अनुमानित लागत 6,808.63 करोड़ रुपये है। जोजिला दर्रे के नीचे, समुद्र तल से करीब 3,000 मीटर की ऊंचाई पर यह सुंरग बनेगी। इसकी लोकेशन NH-1 (श्रीनगर-लेह) में होगी।

​कैसे हो रहा है काम

इस सुरंग के पूरे काम को 33 किलोमीटर के अंतराल में दो डिवीजन में बांटा गया है। पहले डिवीजन में 18.5 किलोमीटर की लंबाई के राजमार्ग का विकास शामिल है। इसमें दो सुरंग हैं— पहली 435 मीटर की है और दूसरी 1950 मीटर की है। दूसरी डिवीजन में घोड़े की नाल के आकार में 14.15 किलोमीटर की दो लेन वाली (9.5 मीटर चौड़ाई और 7.57 मीटर ऊंचाई) सुरंग का निर्माण कार्य हो रहा है। इस काम में न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। सुरंग बनकर जब पूरी हो जाएगी तो यह मार्ग पूरे साल श्रीनगर और लेह को जोड़े रहेगा और इसकी वजह से क्षेत्र में वित्तीय सामाजिक और अर्थशास्त्र के विकास में भी मदद मिलेगी।

​सेफ्टी के लिए एक से एक पुख्ता इंतजाम

इस सुरंग को बनाने वाली कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के एमडी कृष्णा रेड्डी का कहना है कि सुरंग के भीतर रोड के दोनों तरफ, हर 750 मीटर पर इमर्जेंसी ले-बाई होंगे। कैरियजवे के दोनों तरफ भी साइडवॉक्‍स होंगी। यूरोपीय मानकों के अनुसार, हर 125 मीटर की दूरी पर इमर्जेंसी कॉल करने की सुविधा होगी। पूरी सुरंग में ऑटोमेटिक फायर डिटेक्‍शन सिस्‍टम लगेगा। मैनुअल फायर अलार्म का बटन भी होगा। इस सुरंग से गुजरने वाले हर व्हीकल के ड्राइवर के पास पोर्टेबल एक्‍सटिंग्विशर भी मौजूद होना चाहिए। उनका कहना है कि सुरंग की दीवारों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। सुरंग शुरू होने और खत्‍म होने पर खंभे लगाकर कैमरा इंस्‍टॉल होंगे। सारा डेटा और इमेज/वीडियो कम्‍युनिकेशंस लाइंस के जरिए कंट्रोल रूम भेजा जाएगा।

​ऑटोमेटिक लाइट की सुविधा

इस सुरंग में ऑटोमेटिक लाइट की सुविधा है, आपातकालीन प्रकाश सुविधा, आपातकालीन टेलीफोन और रेडियो के साथ यूरोपीय मानकों के अनुरूप विशिष्ट वायुमंडलीय परिस्थितियों मे कार्यक्षम रहने के लिए नवीनतम तकनीकी के साथ इस परियोजना को तैयार किया गया है। इसकी सड़क पर वाहनों की गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे निर्धारित की गई है। परियोजना पूरी होने के बाद यह यातायात में लगने वाले वक्त और पैसे काफी बचत करेगी।

सौजन्य-नवभारत टाईम्स

https://navbharattimes.indiatimes.com/business/business-news/zojila-tunnel-work-progress-why-zojila-tunnel-is-important-benefits-and-features-of-zojila-tunnel/articleshow/86585338.cms?story=4

 

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