यूपी-बिहार के विकास को उड़ान देने वाली योजना है पूर्वांचल एक्सप्रेसवे

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यूपी-बिहार के विकास को उड़ान देने वाली योजना है पूर्वांचल एक्सप्रेसवे

M Y Team दिनांक २३ जनवरी

पूर्वांचल नाम ही बेरोजगारी पलायन और पिछड़ेपन का पर्याय माना जाता रहा है. आजादी के बाद जब देश के कई इलाकों में विकास का सूर्य उदित हो रहा था, तब भी घनी आबादी वाला ये इलाका रौशनी से वंचित रहा. पिछड़ेपन का दंश पूर्वांचलवासी बींसवीं सदी के बाद तक झेलते रहे. लेकिन भला हो मोदी और योगी सरकार का, जिसने अब इलाके में बदलाव की बयार बहा दी है. विकास को नयी गति मिली है. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के साथ ही उस गति को नयी उड़ान मिल गई है. एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन से ठीक पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ट्वीट किया. उन्होंने लिखा- बहुपक्षीय विकास का सेतु ‘पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे’ सुगम यात्रा का माध्यम बनने के साथ ही यूपी की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी बनेगा. निःसंदेह, यह एक्सप्रेस-वे प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में प्रदेश को 01 ट्रिलियन USD इकोनॉमी बनाने के संकल्प को पूर्ण करने में सहायक सिद्ध होगा.

सीएम के इस ट्वीट से योजना की महत्ता और इसके भावी उद्देश्य दोनों को समझा जा सकता है. मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास तीन साल पहले किया गया था और आज सिर्फ 36 महीने में 341 किलोमीटर का एक्सप्रेस-वे जनता को समर्पित होने जा रहा है. योगी ने कहा कि यह- एक्सप्रेस-वे पूर्वांचल के विकास को नई ऊंचाइयां देने वाला साबित होगा. इसके लोकार्पण के साथ ही अपेक्षाकृत पिछड़े इलाके पूर्वांचल को विकास के पंख लग जाएंगे. एक्सप्रेस-वे के नजदीकी क्षेत्रों में उद्योगों के विकास के साथ शैक्षणिक व स्वास्थ्य संस्थान, वाणिज्यिक केंद्र खुलने से विकास के साथ रोजगार की नई राह भी खुलेगी.

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- “यह यूपी के आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने का काम करेगा. इस एक्सप्रेस-वे से एक तरफ यूपी में कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी तो वहीं बिहार के बक्सर से लखनऊ तक का सफर महज 4 घंटे में ही तय हो सकेगा, जिसमें अभी 7 से 8 घंटे तक लगते रहे हैं”. अमेठी के स्थानीय लोगों के मुताबिक, पहले उन्हें गाजीपुर पहुंचने में सात से आठ घंटे तो लखनऊ जाने में दो से ढाई घंटे लगते थे. सड़क खराब होने से जहां ईंधन ज्यादा लगता था, वहीं रास्ते में अक्सर वाहन खराब हो जाते थे. अब एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा होने के बाद जिले के बाजार शुकुल एवम जगदीशपुर ब्लॉक के लोग 40 से 45 मिनट में लखनऊ तो सवा तीन घंटे में गाजीपुर पहुंच जाएंगे.

पूर्वांचल के विकास को मिली रफ्तार

मोदी पार्ट-वन में मनोज सिन्हा के रेल राज्यमंत्री रहने के दौरान पूर्वांचल के कई जिलों में रेलवे नेटवर्क का अच्छा विस्तार हुआ था. कई सिंगल रेल लाइन डबल लाईन में परिवर्तित हुए, विद्युतिकरण के काम आगे बढ़े, रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण का काम पूरा हुआ और कई नई गाड़ियों के परिचालन आरंभ होने से यह इलाका देश के महत्वपूर्ण शहरों-प्रदेशों से जुड़ा. लोग मानते हैं कि तब इलाके में विकास की पहली किरण फूटी थी, जो कल्पनाथ राय के निधन के बाद मंद पड़ चुकी थी. अब एक्सप्रेस-वे के लोकार्पण के साथ ही अति पिछड़े इलाके में शुमार पूर्वांचल के जिले देश के बाकी हिस्सों से विकास के मामले में प्रतिस्पर्धा करते नजर आएंगे.

स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार के एन राय कहते हैं- “सड़कें किसी भी इलाके के विकास का आईना होती हैं. अब जब विश्वस्तरीय एक्सप्रेस-वे यहां बना है तो पूर्वांचल को विकसित होने से कोई रोक नहीं सकता है. इलाके में निवेश बढ़ेगा, पलायन रुकेगा, कारोबार के नये केन्द्र स्थापित होंगे और औद्योगिक कॉरिडोर बनने के बाद से तो बेरोजगारी पर बहुत हद तक लगाम लग जाएगा.” देवरिया के सांसद डॉ रमापति राम त्रिपाठी ने इन शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों के लिए विकास उनके घर तक सीमित था. लेकिन आज भाजपा सरकार में पश्चिमी यूपी और पूर्वांचल का विकास समान रूप से किया जा रहा है. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के शुरू होने से समूचे पूर्वांचल के विकास को और गति मिलेगी.

पिछड़ा इलाका रहा है पूर्वांचल

बताने की जरुरत नहीं है कि रोजी-रोजगार के मामले में पूर्वाचल का यह क्षेत्र अत्यंत पिछड़ा हुआ था. परंपरागत खेती-बारी के अलावे जीविका के कोई खास साधन नहीं थे. समय के साथ आबादी बढ़ती रही और उस हिसाब से जोत घटती रही. अब तो खेतों में घर बनने लगे. किसी गांव में 10-20 बीघे जमीन वाला कोई एक किसान नहीं बचा. नतीजतन, पढ़ाई-लिखाई और रोजी-रोजगार के चक्कर में यहां के नौजवान बड़े शहरों में पलायन को मजबूर हुए. गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़ के मेहनती-बहादुर नौजवानों के श्रम और मेधा से दिल्ली-मुम्बई आबाद होती रही. इलाके की अर्थव्यवस्था पूरी तरह मनिऑर्डर एकोनॉमी पर आश्रित हो गयी. अब लोग मान रहे हैं कि सड़कों का जाल बिछने, रेललाईन का विस्तार होने, कानून-व्यवस्था और बिजली आपूर्ति की स्थिति सुधरने और आधारभूत संरचना के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम होने से विकास का नया दौर शुरू हो चुका है. वह दिन दूर नहीं जब रोजी-रोजगार के लिए नौजवानों को बाहर के प्रदेशों का रुख नहीं करना पड़ेगा. परिवहन के नये और सुगम साधन विकसित होने से बाजार से गांव जुड़ेंगे और किसानों को भी उत्पादन का उचित मूल्य समय पर प्राप्त होगा. उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्ववर्ती सरकारों पर तंज कसा- उन्होंने कहा कि बिना सड़क बनाये और आधारभूत संरचना खड़ा किये पहले की सरकारों ने उद्योग लगाने का प्रयास किया, नतीजा हुआ कि आज सभी कारखानों में ताले लग गए.

जानिए एक्सप्रेस-वे के साइलेंट फीचर

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे लखनऊ से शुरू होकर बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, मऊ, आजमगढ़, बलिया और गाजीपुर जिले को आपस में जोड़ रहा है. इसकी लंबाई 340.824 किलोमीटर यानि लगभग 341 किलोमीटर है. यह 120 मीटर चौड़ा है, जिसपर 100 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से गाड़ियां दौड़ेंगीं. यानि दस घंटे तक की दूरी अब आधे से कम समय में सिमटने वाली है. एक्सप्रेस-वे पर 8 स्थानों पर फ्यूल पंप और चार स्थानों पर सीएनजी स्टेशन बने हैं. यात्रियों की सुविधा के लिए 8 प्रसाधन ब्लॉक और 8 जनसुविधा केंद्र का निर्माण कराया गया है. सुल्तानपुर में करीब सवा तीन किलोमीटर लंबा और 34 मीटर चौड़ी हवाई पट्टी बनी है, जिसका इस्तेमाल लड़ाकू विमान विशेष परिस्थितियों में कर सकते हैं. उदघाटन के समय प्रधानमंत्री इसी पट्टी पर उतरे और बाद में वायु सेना के विमानों ने एयर-शो किया. 6 लेन की इस सड़क पर हर 500 मीटर पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग पिट का प्रावधान किया गया है. साढ़े चार लाख पौधे लगाये गये हैं. परियोजना पर लगभग 22 हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च हुई है.

यूपी में होगा एक्सप्रेस-वे का जाल

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लोकार्पण के साथ ही यूपी, देश में सबसे अधिक एक्सप्रेस-वे वाला राज्य बनने की दिशा में अग्रसर हो चुका है. सबसे पहले यमुना एक्सप्रेस-वे 2012 में बना था. इसी तरह के चार छह-लेन वाले एक्सेस-नियंत्रित एक्सप्रेसवे पर काम चल रहा है, जो उत्तर प्रदेश का कायाकल्प की क्षमता रखते हैं. योगी-मोदी की डबल इंजन सरकार द्वारा तोहफे के तौर पर 341 किलोमीटर का पहला एक्सप्रेस-वे मिल गया. अभी 296 किलोमीटर का बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, 92 किलोमीटर लंबा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे और 63 किलोमीटर का लखनऊ-कानपुर एलिवेटेड एक्सप्रेस-वे निर्माणाधीन हैं. 594 किलोमीटर का संभावित गंगा एक्सप्रेस-वे पर भी काम चल रहा है. इन सबके पूरा हो जाने के बाद यूपी में कुल 1,788 किलोमीटर एक्सप्रेस-वे का नेटवर्क होगा, जो भारत के किसी भी राज्य से सर्वाधिक होगा.

एक्सप्रेस-वे के बारे में जानें

एक्सप्रेस-वे को हिन्दी में तीव्रगति मार्ग या द्रुत मार्ग कहा जाता है. यह नया शब्द है जो सड़क परिवहन संबंधी विएना कन्वेंशन में पहली बार आया. उसी कन्वेंशन में एक्सप्रेस-वे के लिए नीति और नियम निर्धारित हुए. एक्सप्रेसवे पर पैदल चलना और पार्किंग प्रतिबंधित होती है. ट्रैफिक सिग्नल नहीं होते और क्रॉसिंग की सुविधा भी नहीं होती है. आबादी के इलाके में पैदल यात्रियों, चार पहिया वाहनों, ट्रेनों के लिए अंडरपास या फ्लाईओवर होते हैं और समानांतर में सर्विस लेन बनी होती है. एक्सप्रेस-वे को एक्सेस कंट्रोल तकनीक से जोड़ा गया होता है, यानि सड़क पर आने और एक्जिट के लिए नियंत्रित व्यवस्था होती है, जिसे आम भाषा में टॉल बूथ से समझ सकते हैं. भारत में पहला आठ लेन का एक्सप्रेस-वे दिल्ली-नोएडा के बीच 2001 में चालू हुआ, जिसे दिल्ली- नोएडा डायरेक्ट फ्लाईवे या डीएनडी फ्लाईवे कहा जाता है. 9 किलोमीटर के डीएनडी का निर्माण जापान की कंपनी ने किया था. मुंबई और पुणे के बीच एक्सप्रेस-वे 2002 में शुरू हुआ, यह 6 लेन का 93 किलोमीटर लंबा है.

गोरखपुर बना विकास का केंद्र

यूपी की सत्ता पर योगी आदित्यनाथ के काबिज होने के बाद गोरखपुर में विकास का काम रफ्तार पकड़ चुका है. स्थानीय लोग बताते हैं कि योगी जी के शासन में आने के बाद पिछले चार साल में पूर्वांचल की गड्ढायुक्त सड़कें न केवल गड्ढामुक्त हो गई हैं, बल्कि चारों तरफ फोरलेन का जाल बिछ रहा है. 860 करोड़ की लागत से गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे का निर्माण तेजी से हो रहा है. लिंक एक्सप्रेस-वे के किनारे आर्थिक गलियारा बनाने की कार्ययोजना तैयार की गयी है. एक्सप्रेस-वे बनने से गोरखपुर के दक्षिणांचल का विकास होगा. अम्बेडकर नगर, आजमगढ़, प्रयागराज की दूरी कम हो जायेगी. औद्योगिक गलियारा विकसित होने से युवाओं को रोजगार मिलेगा और पलायन पर अंकुश लगेगा. दूसरी ओर गोरखपुर में खाद कारखाना बनकर तैयार है. एम्स जैसा विश्वस्तरीय चिकित्सा संस्थान भी अक्टूबर से पूरी तरह क्रियाशील हो चुका है. दिसंबर के पहले सप्ताह में पीएम मोदी इन दोनों का उद्घाटन कर सकते हैं. गुरु गोरक्षनाथ की साधनास्थली गोरक्षनाथ मंदिर, कबीर स्थली- मगहर, भगवान बुद्ध की निर्वाणस्थली- कुशीनगर और कपिलवस्तु में कई परियोजनाएं शुरू हो गई हैं जो पर्यटकों को लुभा रही हैं.

सौजन्य-झीन्यूज

https://zeenews.india.com/hindi/india/live-updates/purvanchal-expressway-inauguration-live-update-pm-narendra-modi-to-inaugurate-expressway-benefit-to-up-economy/1028629

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