मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में 8 साल की सबसे बड़ी ग्रोथ, सितंबर में 56.8 रहा परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स

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मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में 8 साल की सबसे बड़ी ग्रोथ, सितंबर में 56.8 रहा परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स

M Y Team दिनांक १ ओक्टोबर २०२०

कोरोना के कारण देश की आर्थिक और कारोबारी गतिविधियों में अब तेज रिकवरी हो रही है। अर्थव्यवस्था की इस सुनहरी तस्वीर की गवाही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) दे रहा है। आईएचएस मार्किट रिसर्च संस्थाके मुताबिक, सितंबर महीने में पीएमआई इंडेक्स 56.8 फीसदी रहा है, जबकि अगस्त में यह इंडेक्स 52 था। बीते करीब साढ़े आठ सालों में पीएमआई इंडेक्स में यह सबसे बड़ी ग्रोथ है। आईएचएस मार्किट के मुताबिक, जनवरी 2012 के बाद पहलीबार पीएमआई इंडेक्स 56.8 पर पहुंचा है।

पूरी उत्पादन क्षमता पर पहुंची फैक्ट्रियां: लीमा

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया था। इससे आर्थिक और कारोबारी गतिविधियां थम गई थीं। इस वजह से अप्रैल में पीएमआई इंडेक्स में गिरावट दर्ज की गई थी। लगातार 32 महीनों तक ग्रोथ के बाद यह गिरावट दर्ज की गई थी। यदि पीएमआई इंडेक्स 50 अंक से ऊपर रहता है तो इसे ग्रोथ माना जाता है। यदि इंडेक्स 50 से नीचे रहता है तो इसे गिरावट माना जाता है। आईएचएस मार्किट के इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लीमा का कहना है कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री सही दिशा में जा रही है। सितंबर के पीएमआई डाटा में कई सकारात्मक बातें शामिल हैं। कोविड-19 के प्रतिबंधों के बाद देश की फैक्ट्रियां पूरी क्षमता पर पहुंच गई हैं।

निर्यात ऑर्डर से सुधरने लगे हालात

आईएचएस मार्किट के लीमा का कहना है कि लगातार 6 महीने तक गिरावट के बाद निर्यात के नए ऑर्डर मिलने लगे हैं। इससे निर्यात पटरी पर लौटने लगा है। लीमा के मुताबिक, सितंबर के पीएमआई डाटा से खरीदारी दर बढ़ने और कारोबारी विश्वास के मजबूत होने के इनपुट मिले हैं। हालांकि, ऑर्डर बुक वॉल्यूम में मजबूत ग्रोथ के बावजूद भारतीय कारोबारी पे-रोल संख्या में कमी लाने पर विचार कर रहे हैं। कई मामलों में सोशल डिस्टेंसिंग गाइडलाइंस के मुताबिक कर्मचारियों की संख्या में कमी लाई जा रही है।

तैयार सामान की कीमत बढ़ी

पीएमआई सर्वे के मुताबिक, बीते 6 महीने में पहली बार तैयार सामान की कीमत में बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी इनपुट लागत ज्यादा होने के कारण हुई है। सर्वे में कहा गया है कि एक तिहाई मैन्युफैक्चरर अगले 12 महीनों तक ग्रोथ की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं, 8 फीसदी ने गिरावट की उम्मीद जताई है। पीएमआई का मुख्‍य मकसद इकोनॉमी के बारे पुष्‍ट जानकारी को आधिकारिक आंकड़ों से भी पहले उपलब्‍ध कराना है। इससे अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में सटीक संकेत पहले ही मिल जाते हैं। पीएमआई 5 प्रमुख कारकों पर आधारित होता है। इसमें नए ऑर्डर, इन्‍वेंटरी स्‍तर, प्रोडक्‍शन, सप्‍लाई डिलिवरी और रोजगार वातावरण शामिल हैं।

इनपुट – दैनिक भास्कर से

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