Economy अर्थव्यवस्था
१३७ दिन तक पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढानेसे तेल कंपनियों को १९ हजार करोड़ का घाटा
M Y Team दिनांक २५ मार्च २०२२
भारत के पेट्रोल और डीजल की रिटेल बिक्री करनेवाले सरकारी कम्पनिया IOC, BPCL और HPCL को नवंबर से मार्च के बीच करीब 2.25 अरब डॉलर (19 हजार करोड़ रुपए) का नुकसान हुआ है। रेटिंग एजंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस की रिपोर्ट में ये बात कही गई है। दूनियाभरमें सभी देशोमे जब पेट्रोल डीजल की कीमते बढ़ रही थी तो नोव्हेम्बर महीने भारत सरकारने पेट्रोल डीजल पर लगे उत्पादन शुल्क को कम कर दिया था I इसकी वजहसे पेट्रोल और डीजल की कीमते कम हो गयी थी I इसके बादमे कोरोनासे झूझती भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देनेके लिए मोदी सरकारने पेट्रोल डीजल के किमतोको फ्रीझ कर दिया था I इसकी वजहसे ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 4 नवंबर, 2021 से 21 मार्च, 2022 के बीच पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया था। मगर अंतर्राष्ट्रिय बाजार में नवंबर में कच्चे तेल की कीमत करीब 80 डॉलर प्रति बैरल थी जो अब बढ़कर 110 डॉलर के पार पहुंच गई है। कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ोतरी के बाद भी ऑयल मार्केटिंग कम्पनियोने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव नहीं किया था इसीलिए उनको कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से कंपनियों को करीब 1900 रुपए प्रति बैरल तक का नुकसान हो रहा था । रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि IOC को लगभग 1-1.1 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है, जबकि BPCL और HPCL को लगभग 550-650 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। तीनो कम्पनियोंका मिलाकर देखे तो यह घाटा १९ हजार करोड़ रुपये तक हुआ है I
धीरे-धीरे बढ़ेंगे दाम
अब सरकार की तरफसे अनुमति मिलने के बाद इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने 22 और 23 मार्च को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 80 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि सरकार रिफाइनर को नुकसान से बचाने के लिए कीमतें बढ़ाने की अनुमति देगी। लगातार दो दिन 80-80 पैसे बढ़ने पर मूडीज ने कहा कि इससे संकेत मिलता है कि पेट्रोल-डीजल के दाम एक बार में न बढ़ाकर धीरे-धीरे बढ़ाए जाएंगे।
पेट्रोल-डीजल की कीमतें ऐसे तय होती है
जून 2010 तक केंद्र सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी, लेकिन 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया।
अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं। भारत अपनी तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर 85 फीसदी निर्भर है। आम तौर पर कच्चा तेल 1 डॉलर प्रति बैरल महंगा होने पर देश में पेट्रोल-डीजल के दाम औसतन 55-60 पैसे प्रति लीटर बढ़ जाते हैं।