अगले १० सालों में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होगा हाइड्रोजन. महंगे पेट्रोल-डीजल से मिलेगा छुटकारा

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अगले १० सालों में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होगा हाइड्रोजन. महंगे पेट्रोल-डीजल से मिलेगा छुटकारा

M Y Team दिनांक १८ अक्तूबर २०२१

देश के अनेक हिस्सों में पेट्रोल की कीमतें 110 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुकी हैं। इसके कारण अन्य जरूरी उपभोग की वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ने लगी हैं, जिससे घरों का बजट बिगड़ने लगा है। इस महंगे पेट्रोल-डीजल के संकट का हल तो जल्द भविष्य में दिखाई नहीं पड़ता, लेकिन विशेषज्ञों का अनुमान है कि हाइड्रोजन के वैकल्पिक ईंधन के रूप में प्रचलन में आ जाने से ईंधन के संकट से हमेशा-हमेशा के लिए छुटकारा मिल सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हाइड्रोजन प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और हमें इसे पेट्रोल की तरह आयात नहीं करना पड़ेगा। इससे भारत के विकट ऊर्जा संकट को हल करने में मदद मिल सकती है, साथ ही सर्वसुलभ और सस्ता ईंधन उपलब्ध कराया जा सकता है। हालांकि इसमें आठ से दस साल तक का समय लग सकता है।

ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने अमर उजाला को बताया कि हाइड्रोजन को ‘फ्यूचर फ्यूल’ के सबसे प्रबल संभावनाओं वाले विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। यदि भारत हाइड्रोजन की क्षमता का समुचित उपयोग कर पाया, तो हमारी ऊर्जा की बड़ी समस्या का एक उचित और स्थायी समाधान हमें मिल सकता है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘नेशनल हाइड्रोजन मिशन’ की स्थापना कर दी है। लेकिन इस राह में कई गंभीर चुनौतियां हैं जिससे विश्व समुदाय को अभी पार पाना है।

हाइड्रोजन प्राप्त करने के कई तरीके हैं। इनमें अभी सबसे प्रचलित तरीका जीवाश्म इंधनों से हाइड्रोजन को निकालकर उसका ईंधन के रूप में इस्तेमाल करना। यह अभी तक सबसे आसान और सुविधाजनक तरीका है। चूंकि इस तरह हाइड्रोजन निकालने में भी अंतत: जीवाश्म ईंधनों का उपयोग किया ही जा रहा है, ऐसे में यह विधि जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को समाप्त करने वाली नहीं है, यही कारण है कि इसे बहुत अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जा रहा है।

जल में भी हाइड्रोजन एक अवयव के रूप में व्याप्त रहता है। कृत्रिम तरीके से इसे जल से अलग करके हाइड्रोजन प्राप्त करना एक आसान विकल्प दिखाई पड़ सकता है, लेकिन अभी तक जल से हाइड्रोजन को अलग करने का तरीका बेहद खर्चीला है। इस विधि से हाइड्रोजन प्राप्त करने में जितनी नेचुरल गैस या अन्य ईंधन लग जाता है, वह निकाले गये हाइड्रोजन की दृष्टि से किफायती नहीं है। यानी हाइड्रोजन प्राप्त करने में खर्च बहुत ज्यादा है, जबकि प्राप्त हाइड्रोजन अपेक्षाकृत बेहद कम मूल्य का है। लिहाजा यह विधि तकनीकी दृष्टि से उपयुक्त होते हुए भी आर्थिक दृष्टि से उपयोगी नहीं है। यदि इसके तरीके में सुधार कर इसे सस्ती बनाया जा सके तो यह बेहद कारगर साबित हो सकती है। फिलहाल, अभी इसकी संभावना नहीं है।

सबसे उपयुक्त हाइड्रोजन ग्रीन हाइड्रोजन को माना जाता है, जो बॉयोवेस्ट कचरे को रिसाइकिल करके प्राप्त किया जा सकता है। इस दृष्टि से प्राप्त हाइड्रोजन से कार्बन उत्सर्जन शून्य होता है, लिहाजा यह पर्यावरण के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। सरकार इन सभी विकल्पों को व्यावहारिक स्तर पर लाने की कोशिश कर रही है।

सौजन्य- दैनिक अमर उजाला

https://www.amarujala.com/india-news/experts-predict-that-the-introduction-of-hydrogen-as-an-alternative-fuel-could-end-the-fuel-crisis-forever?src=top-lead-home-2

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